# नालागढ़, कालाअंब से भी खराब हो गई शिमला और धर्मशाला की आबोहवा…

The air quality of Shimla and Dharamshala has become worse than Nalagarh and Kala Amb

 पहाड़ों की रानी राजधानी शिमला व धर्मशाला की आबोहवा औद्योगिक क्षेत्रों नालागढ़ और कालाअंब समेत कई प्रदूषित शहरों की अपेक्षा खराब हो गई है। 

हिमाचल प्रदेश में बढ़ रही गर्मी और जंगल की आग की घटनाओं के चलते पहाड़ों की रानी राजधानी शिमला व धर्मशाला की आबोहवा औद्योगिक क्षेत्रों नालागढ़ और कालाअंब समेत कई प्रदूषित शहरों की अपेक्षा खराब हो गई है। ये दोनों शहर अभी तक गुड जोन में थे, लेकिन अब यह संतोषजनक जोन में चले गए हैं। दोनों पर्यटन स्थ्लों धर्मशाला का एयर क्वालिटी इंडेक्स 98 जबकि शिमला का 97 है। वहीं इसकी तुलना में प्रदूषित शहर औद्योगिक क्षेत्र नालागढ़ का 83, बरोटीवाला 98, डमटाल का 79 और कालाअंब का 75 है। 

इसके अलावा सुंदरनगर का 46, परवाणू का एयर क्वालिटी इंडेक्स 46 और मनाली का 41 है, जिसे सबसे बेहतर माना जाता है। इसके साथ ही बद्दी, ऊना और पांवटा साहिब की आबोहवा जहरीली हो गई है। यहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स माॅडरेट जोन में है। बद्दी में 17 मई को एयर क्वालिटी इंडेक्स पूअर जोन में चला गया था। यहां पर अभी भी एयर क्वालिटी इंडेक्स 150 के आसपास है। 17 मई को बद्दी का एयर क्वालिटी इंडेक्स पूअर जोन के तहत 213 चला गया था।

18 मई को 171, 19 को 167, 20 को 150 और 21 को 144 पर आ गया। वहीं पांवटा साहिब का इंडेक्स 136, ऊना का 106 है। माना जा रहा है कि अग्निकांड की घटनाओं के बाद धुएं से कई शहरों की हवा भी खराब हुई है। वहीं, बद्दी एशिया का सबसे बड़ा फार्मा हब है। औद्योगिक क्षेत्र होने के कारण यहां पर हवा साफ नहीं है। बीते कुछ दिनों में बीबीएन के आसपास के क्षेत्रों में भयंकर आग लगी है। इसके चलते भी यहां पर हवा खराब हो गई है। शून्य से 50 तक गुड जोन, 50 से 100 तक सेटिस्फेक्ट्री या संतोषजनक जोन, 101 से 200 तक मॉडरेट व 201 से 300 तक पूअर जोन में गिना जाता है।

बद्दी प्रदेश का ऐसा क्षेत्र है जहां पर हवा की गुणवत्ता सबसे ज्यादा खराब है। पूअर जोन में जाने का अर्थ है कि यहां पर सांस लेने में लोगों को दिक्कत रहती है।  उधर, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वरिष्ठ अभियंता प्रवीण गुप्ता ने बताया कि हवा में धूल के पार्टिकल कम करने के लिए एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट लगाए हैं, जिनकी समय-समय पर जांच होती है। जिन कंपनियों में ये प्लांट नहीं चलते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाती है। 

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