प्रदेश में ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधि अपनी राजनीतिक विचारधारा वाले लोकसभा चुनाव और विधानसभा उपचुनाव के प्रत्याशियों को लीड दिलाने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश में ग्राम पंचायतों के प्रतिनिधि अपनी राजनीतिक विचारधारा वाले लोकसभा चुनाव और विधानसभा उपचुनाव के प्रत्याशियों को लीड दिलाने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं। वे पसीना बहाकर गांवों के टेढ़े-मेढ़े रास्ते नाप रहे हैं व पहाड़ियां लांघ रहे हैं। गांव के एक-एक व्यक्ति तक पहुंच बनाने का जिम्मा इन्हीं प्रतिनिधियों को दिया गया है। जहां राजनीतिक दलों के अपने चुने हुए प्रतिनिधि नहीं हैं, वहां पर पूर्व प्रधानों, उपप्रधानों और वार्ड सदस्यों पर दायित्व है। ये गेहूं की कटाई के बीच खेतों में जाकर भी लोगों से मिल रहे हैं। गांवों में विभिन्न समारोहों में शामिल होने का मौका न चूकते हुए भी प्रचार कर रहे हैं।
बड़े नेता सबके गांव-घर पहुंच पाएं कि नहीं, मगर इन्हें तो हर हाल पहुंचना ही है। कांग्रेस से जुड़े प्रतिनिधि हों या भाजपा से संबंधित, सब पर अच्छा प्रदर्शन दिखाने का दबाव है। यह दबाव हर लोकसभा चुनाव में इसलिए रहता है, क्योंकि इसके अगले साल ही पंचायतों में भी चुनाव हो जाते हैं। ऐसे में पंचायतों में अभी दिलाई गई लीड उनके अगले चुनाव पर भी असर डालेगी। प्रदेश में 3615 ग्राम पंचायतें हैं। इनमें इतने ही प्रधान और उपप्रधान हैं। 20 हजार से अधिक वार्ड सदस्य हैं। सब अपने-अपने क्षेत्रों में अच्छे प्रदर्शन के लिए बहुत मेहनत कर रहे हैं।
लीड को बढ़ाने के लिए जीतोड़ मेहनत
राजधानी शिमला की निकटवर्ती ग्राम पंचायत बागी के प्रधान नरेश ठाकुर इस बार यहां से कांग्रेस प्रत्याशी विनोद सुल्तानपुरी को लीड दिलाने के लिए खूब मेहनत कर रहे हैं। शिमला ग्रामीण विधानसभा हलके के तहत आने वाली इस पंचायत में नरेश ठाकुर तीसरी बार चुने हुए पंचायत प्रतिनिधि हैं। उनके अनुसार, इस पंचायत से पिछले लोस चुनाव में कांग्रेस को 270, विस चुनाव में 355 मतों की लीड मिली थी। वह शिली बाघी, डनोखर, पटीना, बगना, मझोला, चनान आदि गांवों में कांग्रेस के वोट पक्के करने का दावा कर रहे हैं। वह युकां के शिमला ग्रामीण ब्लॉक से महासचिव भी रह चुके हैं।
शकुंतला घर-घर जाकर कर रहीं प्रचार
अर्की की ग्राम पंचायत धुंधन की प्रधान शकुंतला शर्मा पहले हिमाचल प्रदेश पुलिस सेवा अधिकारी रह चुकी हैं। वह स्टेट विजिलेंस ब्यूरो में डीएसपी के पद नियुक्त रह चुकलीड को बढ़ाने के लिए जीतोड़ मेहनत राजधानी शिमला की निकटवर्ती ग्राम पंचायत बागी के प्रधान नरेश ठाकुर इस बार यहां से कांग्रेस प्रत्याशी विनोद सुल्तानपुरी को लीड दिलाने के लिए खूब मेहनत कर रहे हैं। शिमला ग्रामीण विधानसभा हलके के तहत आने वाली इस पंचायत में नरेश ठाकुर तीसरी बार चुने हुए पंचायत प्रतिनिधि हैं। उनके अनुसार, इस पंचायत से पिछले लोस चुनाव में कांग्रेस को 270, विस चुनाव में 355 मतों की लीड मिली थी। वह शिली बाघी, डनोखर, पटीना, बगना, मझोला, चनान आदि गांवों में कांग्रेस के वोट पक्के करने का दावा कर रहे हैं। वह युकां के शिमला ग्रामीण ब्लॉक से महासचिव भी रह चुके हैं। ी हैं। पिछले चुनाव में उनकी ग्राम पंचायत की यह सीट अनारक्षित हुई तो उन्होंने ग्राम पंचायत प्रधान का चुनाव लड़ा और जीतीं। शिमला संसदीय सीट के तहत आने वाली इस ग्राम पंचायत में वह गांव-गांव, घर-घर जाकर प्रचार कर रही हैं। उन्होंने बताया कि वह कांग्रेस प्रत्याशी विनोद सुल्तानपुरी के लिए इसलिए वोट मांग रही हैं, क्योंकि सांसद ने उनकी पंचायत में अपनी शक्ल तक नहीं दिखाई। इस बार बदलाव जरूरी है।
गेहूं कटाई के साथ लीड दिलाने का जिम्मा
मंडी सदर की टिल्ली केहनवाल ग्राम पंचायत की प्रधान सावित्री देवी एक ओर अपने खेतों में गेहूं की फसल की कटाई कर रही हैं तो दूसरी ओर उन पर लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा प्रत्याशी कंगना रणौत को लीड दिलाने का भी जिम्मा है। सावित्री देवी का कहना है कि उनकी यह पंचायत भाजपा का गढ़ है। पिछले लोकसभा चुनाव-उपचुनाव हों या विधानसभा चुनाव, इस पंचायत ने भाजपा को अच्छी लीड दी है। इस बार भी वह खूब मेहनत कर रही हैं। सावित्री देवी भाजपा महिला मोर्चा मंडी सदर मंडल की उपाध्यक्ष भी हैं। उन्होंने दावा किया कि इस बार भी वह भाजपा को लीड दिलाएंगी।
शांता कुमार-केडी सुल्तानपुरी की भी पंचायत से शुरुआत
पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने राजनीति की शुरुआत पंचायत चुनाव लड़कर ही की थी। वह बाद में प्रदेश के मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री के पद तक पहुंचे। लोकसभा सीट शिमला से सांसद रहे स्व. केडी सुल्तानपुरी भी सबसे पहले पंचायत सरपंच चुने गए थे। पंचायत के रास्ते वह राजनीति में आगे बढ़े और शिमला लोकसभा सीट से 1980 में सांसद बने। उसके बाद वह लगातार छह बार 1998 तक सांसद चुने गए। पंचायती राज संस्थाओं से आगे बढ़कर हिमाचल प्रदेश विधानसभा में विधायक तो कई नेता बने हैं।
कांगड़ा में सबसे ज्यादा, लाहौल स्पीति में सबसे कम ग्राम पंचायतें
हिमाचल में वर्तमान में 3615 ग्राम पंचायतें हैं। इनमें से कांगड़ा में 814, मंडी में 559, शिमला में 412, चंबा में 309, सिरमौर में 259, हमीरपुर में 248, ऊना में 245, सोलन में 240, कुल्लू में 235, बिलासपुर में 176, किन्नौर में 73 और लाहौल स्पीति में 45 हैं। राज्य में कुल ब्लॉकों की संख्या 88 है।