अदालत ने कड़छम- वांगतू प्रोजेक्ट से राज्य को मिलने वाली 18 फीसदी मुफ्त बिजली के बजाय जेएसडब्ल्यू कंपनी को 13 फीसदी मुफ्त बिजली देने के आदेश दिए हैं।
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय से मंगलवार को मुफ्त बिजली मामले में प्रदेश सरकार को बड़ा झटका लगा है। अदालत ने कड़छम- वांगतू प्रोजेक्ट से राज्य को मिलने वाली 18 फीसदी मुफ्त बिजली के बजाय जेएसडब्ल्यू कंपनी को 13 फीसदी मुफ्त बिजली देने के आदेश दिए हैं, जिसका सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने यह फैसला दिया।
अदालत ने कहा कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2019 में केंद्रीय विद्युत नियामक विनिमय बनाया है, जिसके तहत गृह राज्य को 13 फीसदी मुफ्त बिजली देने को कहा गया। अदालत ने सरकार व प्रतिवादी नंबर दो को भी निर्देश दिए हैं कि कंपनी से जो 2023 के बाद 18 फीसदी मुफ्त बिजली दे रही थी, उसको सरकार एडजस्ट करे।
महाधिवक्ता ने कहा कि प्रदेश सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी और वहां पर हिमाचल के लोगों के हितों की बात रखेंगे। जेएसडब्ल्यू कंपनी की ओर से कांग्रेस के दिग्गज नेता व सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम पेश हुए। उन्होंने दलीलें दी कि वर्ष 1999 में कंपनी ने सरकार के साथ एक अनुबंध किया था, जिसके तहत कंपनी को कुल बिजली का 13 फीसदी मुफ्त हिमाचल को देना तय हुआ था। यह अनुबंध 12 वर्षों के लिए था। बाद में सरकार ने इसे बढ़ाकर 18 फीसदी कर दिया, जिसके खिलाफ कंपनी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी थी।