हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के गिरिपार को राज्यसभा में जनजाति का दर्जा मिलने की बड़ी बाधा पार हो गई है। इसके बाद गिरिपार के लोगों ने सिरमौर से लेकर शिमला तक जश्न मनाया और नाटियां डालीं। दिल्ली में भी गिरिपार के लोगों ने जमकर जश्न मनाया।
इस दौरान लोगों ने एक-दूसरे को मिठाइयां भी बांटीं। ढोल-नगाढ़ों और शहनाई की धुनों पर लोग जमकर नाचे। रियासत के हिस्सा रहा जौनसार बाबर क्षेत्र को वर्ष 1967 में जनजाति दर्जा मिल गया था, लेकिन गिरिपार के हाटी समुदाय को पांच दशक से अधिक इंतजार करना पड़ा, जो अब पूरा हुआ है।
उत्तराखंड के जनजाति क्षेत्र जौनसार बाबर और सिरमौर के गिरिपार में कई समानताएं हैं। दोनों क्षेत्रों में एक ही बिरादरी के लोग हैं। इनके बीच दाईचारा आज भी कायम है। कई लोगों के आधे परिवार गिरिपार क्षेत्र और उनके भाई बंधु जौनसार बाबर में रह रहे हैं।
इसके अलावा दोनों क्षेत्रों के लोगों में रिश्तेदारियां भी हैं। यही नहीं दोनों तरफ एक ही नाम के कई गांव भी हैं। देवता भी एक हैं। इसके साथ-साथ गिरिपार क्षेत्र और जौनसार बाबर में मनाए जाने वाले तीज-त्योहारों और रीति रिवाजों में भी काफी समानताएं हैं।
डाॅ. अमीचंद कमल और कुंदन सिंह शास्त्री ने बताया कि यह गिरिपार क्षेत्र के सभी लोगों के सामूहिक प्रयास का परिणाम है कि हाटी समुदाय को उसका जनजाति अधिकार मिला है। इसमें तीन पीढि़यों ने इसमें योगदान दिया है। इसके चलते सफलता मिली है।