एचपीएमसी मंगलवार को अपने शाखा कार्यालयों को 10 करोड़ की पहली किस्त जारी करने जा रहा है। एचपीएमसी बागवानों से उनके बैंक खातों की जानकारी जुटा रहा है ताकि लंबित राशि सीधे बैंक खातों में डाली जा सके।
हिमाचल प्रदेश के करीब 20 हजार बागवानों के लिए राहत भरी खबर है। सरकार की ओर से एमआईएस (मंडी मध्यस्थता योजना) के तहत बजट जारी होने के बाद एचपीएमसी मंगलवार को अपने शाखा कार्यालयों को 10 करोड़ की पहली किस्त जारी करने जा रहा है। दूसरी किस्त के रूप में 10 करोड़ अगले चरण में जारी होंगे। एचपीएमसी बागवानों से उनके बैंक खातों की जानकारी जुटा रहा है ताकि लंबित राशि सीधे बैंक खातों में डाली जा सके। अगले साल से बागवानों को एमआईएस के तहत बिकने वाले सेब की पेमेंट पोर्टल के जरिये सीधे बैंक खातों में होगी।
एमआईएस के तहत हर साल प्रदेश के करीब 30,000 बागवान सी ग्रेड सेब एचपीएमसी को देते हैं। पिछले साल तक एचपीएमसी बागवानों को उनके सेब का पैसा चेक के माध्यम से देता था। प्रदेश सरकार के आदेशों पर इस साल से एमआईएस का पैसा सीधे बैंक खातों में जाएगा। एमआईएस के तहत खरीदे जाने वाले सेब का भुगतान बागवानों को 50 फीसदी प्रदेश सरकार और 50 फीसदी केंद्र सरकार करती थी, लेकिन बीते साल केंद्र सरकार ने एमआईएस के लिए बजट खत्म कर इसे महज एक लाख रुपये टोकन मनी कर दिया। केंद्र से मदद न मिलने के कारण अब प्रदेश सरकार ही पूरा पैसा चुकाएगी। बीते साल बागवानों से सरकार ने करीब 52915 मीट्रिक टन सेब खरीदा था।
अब अगले साल से पोर्टल के जरिये बैंक खातों में किया जाएगा भुगतान
एमआईएस के तहत लंबित राशि में से 10 करोड़ मंगलवार को शाखा कार्यालयों को जारी कर दिए जाएंगे। पहली बार बागवानों को एमआईएस का पैसा सीधे बैंक खाते में मिलेगा। बागवानों के बैंक खातों की जानकारी जुटाई जा रही है। अगले साल से पोर्टल के जरिये पैसा खातों में डाला जाएगा- सुदेश कुमार मोख्टा, प्रबंध निदेशक, एचपीएमसी
इस सीजन के लिए 7.50 रुपये बढ़ाया जाए एमआईएस का रेट
संयुक्त किसान मंच इस साल सेब सीजन से एमआईएस के तहत सेब खरीद का रेट ए ग्रेड के लिए 80 रुपये, बी ग्रेड के लिए 60 रुपये और सी ग्रेड के लिए 40 रुपये किलो निर्धारित करने की मांग उठा रहा है। मंच के संयोजक हरीश चौहान और सह संयोजक संजय चौहान का कहना है कि सरकार की ओर से सी ग्रेड के लिए तय किए गए 12.50 पैसे प्रतिकिलो के दाम को बढ़ाकर इस साल न्यूनतम 20 रुपये करना बेहद जरूरी है, क्योंकि इस साल सूखे के कारण सेब की फसल को भारी नुकसान हुआ है, लगातार दूसरे साल बागवानों की फसल टूटने की संभावना है।