बगीचे से ग्राहक तक योजना के तहत सहकारी समितियों के माध्यम से हिमाचल, कश्मीर और उत्तराखंड का सेब बिना बिचौलियों के सीधे केरल के बाजारों में उपलब्ध होगा। बागवानों को उपज का सही मूल्य दिलवाने और उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर उच्च गुणवत्ता का सेब उपलब्ध करवाने के लिए केरल में सहकारी समितियों के जरिये घरेलू बाजार तक विपणन नेटवर्क तैयार किया जाएगादिल्ली में रविवार को हुई एपल फार्मर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एएफएफआई) की केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के साथ बैठक में यह फैसला लिया। केरल में स्थानीय सहकारी समितियों के जरिये घरेलू बाजार तक सेब पहुंचेगा और लोगों को सस्ता मिलेगा। एएफएफआई के संयोजक सोहन सिंह ठाकुर ने बताया कि हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड के बागवानों के लिए बढ़ती लागत से बागवानी घाटे का सौदा बन रही है।एएफएफआई सेब उत्पादकों को संगठित कर वैज्ञानिक तकनीक से सेब उत्पादन और गुणवत्ता बढ़ाने और बगीचों से सीधे उपभोक्ता तक विपणन व्यवस्था तैयार करने का प्रयास कर रहा है। बैठक में जम्मू-कश्मीर के पूर्व विधायक मुहम्मद यूसुफ तारिगामी, हिमाचल प्रदेश के पूर्व विधायक राकेश सिंघा के अलावा ऑल इंडिया किसान सभा के अध्यक्ष अशोक धावले भी मौजूद रहे।
बागवानों के लिए अमेरिकी सेब नई चुनौती
एएफएफआई के संयोजक सोहन ने कहा है कि आयात शुल्क घटाने से अमेरिका का वाशिंगटन सेब भारतीय बाजारों में पहुंचेगा, जो हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड के लिए चुनौती बनेगा।
केरल संपर्क क्रांति ट्रेन से 48 घंटे में चंडीगढ़ से कोचीन पहुंचेगा सेब : चंडीगढ़ से कोच्चिवल्ली जाने वाली केरल संपर्क क्रांति ट्रेन सेे 48 घंटे के भीतर सेब कोचीन पहुंचेगा। बागवानों को 3,125 किलोमीटर की दूरी का प्रतिकिलो 9.70 पैसे किराया चुकाना होगा। उत्तर रेलवे अंबाला मंडल की ओर से ट्रेन के जरिये सेब ढुलाई का प्रस्ताव पहले ही बागवानों को दिया जा चुका है।