हिमाचल प्रदेश सरकार ने बीते दिन हुई कैबिनेट में निर्णय लिया है कि स्वास्थ्य विभाग में स्टाफ नर्सों के 700 पदों को भरा जाएगा, जिसमें 400 आईजीएमसी व 300 नर्सों की भर्ती टांडा मेडिकल कॉलेज में होनी है। हिमाचल प्रदेश प्रशिक्षित बेरोजगार नर्स एसोसिएशन ने स्टाफ नर्सों के पदों को आउटसोर्स आधार पर न भरने की मांग उठाई है। एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मुलाकात कर अपनी समस्याओं के संदर्भ में एक ज्ञापन सौंपा।
संघ के पदाधिकारियों और सदस्यों ने मांग की है कि भविष्य में स्वास्थ्य विभाग में भरे जाने वाले स्टाफ नर्सों के पदों को आउटसोर्स आधार पर बिल्कुल भी न भरा जाए। संघ ने कहा है कि प्रदेशभर में कई मेडिकल कॉलेज में स्टाफ नर्स की कमी चल रही है, लेकिन खेद की बात है कि इनमें स्टाफ नर्सेज के पदों को आउटसोर्स आधार पर भरा जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्टाफ नर्स के पद पर सेवाएं देने वाली महिलाएं अस्पतालों में रोगियों का भी ध्यान अपने परिवार के सदस्यों की तरह रखती हैं। इतने कर्मठ होने के बावजूद इन कर्मचारियों को आउटसोर्स आधार पर भर्ती करना समझ से परे है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2019 से स्टाफ नर्सों के पद बैचवाइज आधार पर भरने की प्रक्रिया शुरू की गई है। हालांकि प्रदेश सरकार की यह प्रक्रिया काफी लोकहित में मानी जा रही है, लेकिन स्टाफ नर्सों के पदों को आउटसोर्स के आधार पर भरे जाने से बैचवाइज आधार का कोई औचित्य नहीं रह जाता। उन्होंने मांग की कि इन पदों को बैचवाइज आधार पर भरा जाए।
हालांकि इसमें आउटसोर्स को कतई जगह न दी जाए, ताकि उन्हें ओवर एज होने से पहले रोजगार मिल सके। उन्होंने यह भी मांग की है कि स्टाफ नर्सेज के पदों को बैचवाइज आधार पर भरे जाने के दौरान पदों की संख्या बढ़ाई जाए। जो बैच वर्तमान में चल रहा है, उस बैच की हजारों प्रशिक्षित नर्सें बेरोजगार हैं, जो शिमला में अपना पंजीकरण करवा चुकी हैं। इस मौके पर संघ की पदाधिकारी शिवानी शर्मा, चंचल शर्मा, प्रिया शर्मा, रीना, रविन्द्र, मोनिका, मेघा, अनूजा आदि मौजूद रही।