# सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विरोध में दलित संगठनों ने राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन…

 अनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षण में उप वर्गीकरण, क्रीमी लेयर और अनुसूचियों में बदलाव कर राज्य सरकारों को शक्ति दिए जाने के निर्णय का दलित संगठनों ने विरोध किया है। इस विरोध को लेकर संगठनों ने भारत बंद का समर्थन भी किया।

अनुसूचित जाति संगठन के प्रतिनिधियों ने उपायुक्त के माध्यम से इस निर्णय को निष्प्रभावी करने के संबंध में ज्ञापन राष्ट्रपति को प्रेषित किया। साथ ही संविधान संशोधन लाकर नौवीं अनुसूची में डालने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की भी मांग उठाई। बुधवार को जिला मुख्यालय पहुंचे प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई कर रहे अधिवक्ता नरेश कुमार सैंसोवाल ने बताया कि अनुसूचित जाति एवं जनजातियों के आरक्षण में उप वर्गीकरण क्रीमी लेयर की अवधारणा और अनुसूची में बदलाव करने का अधिकार राज्यों को देना पूरी तरह गलत है।

यह अनुसूचित जाति एवं जनजातियों में द्वेष पैदा करने की भावना को उपज देगा। यह असंवैधानिक निर्णय है। अनुच्छेद 14, 15, 16, 341 और 342 का घोर उल्लंघन करता है। यह राष्ट्रपति की सर्वोच्च शक्ति का अपमान है। नरेश ने कहा कि अनुसूचित जातियों को कम्युनल अवार्ड के बदले पूना पैक्ट के तहत राजनीति, शिक्षा और नौकरियों में प्रतिनिधित्व दिया गया था, जिसे आरक्षण का नाम दिया गया। अब ऐसे निर्णय पूना पैक्ट का भी उल्लंघन है।

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