राज्यसभा चुनाव को चुनौती देने वाली कांग्रेस के प्रत्याशी रहे अभिषेक मनु सिंघवी की याचिका पर तेलंगाना चुनाव के बाद सुने जाने की हर्ष महाजन की अरजी हाईकोर्ट ने खारिज कर दी। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में बुधवार को इस मामले में सुनवाई हुई।
हर्ष महाजन की ओर से अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता ने इस मामले को तेलंगाना चुनाव के बाद सुने जाने का आग्रह किया था। उन्होंने अदालत को बताया कि वादी व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी को कांग्रेस तेलंगाना सीट से राज्यसभा चुनाव लड़ा रही है। ऐसे में अगर वह चुनाव जीत जाते हैं तो याचिका का कोई औचित्य नहीं रहता है, लेकिन मामले की सुनवाई कर रहीं न्यायाधीश ज्योत्सना रिवॉल दुआ की अदालत ने हर्ष महाजन की इस अरजी को खारिज कर दिया।
वहीं, दूसरी ओर सिंघवी की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अदालत में पेश हुए। उन्होंने अदालत को बताया कि अगर याचिकाकर्ता तेलंगाना से राज्यसभा सीट से जीतते हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि याचिका खारिज कर दी जाए। उन्होंने अदालत में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत धारा 70 और नियम 91 का हवाला देते हुए कहा कि अगर उम्मीदवार दो सीटों से विजय घोषित किया जाता है तो उसे 14 दिन के भीतर एक सीट से त्यागपत्र देना होता है, जबकि यहां पर ऐसा कुछ भी नहीं है। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद हर्ष महाजन की ओर से दायर अरजी को खारिज करते हुए प्रतिवादी को आदेश 7 नियम 11 पर बहस करने को कहा। अदालत में अब इस मामले पर वीरवार को सुनवाई होगी।
सांसद कंगना रणौत को तीन हफ्ते के भीतर जवाब दायर करने का आदेश
मंडी लोकसभा सीट पर हुए चुनाव को अवैध घोषित करने वाली याचिका पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई। प्रतिवादी कंगना रणौत की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने अदालत में जवाब दायर करने का समय मांगा।
न्यायाधीश ज्योत्सना रिवॉल दुआ की अदालत ने प्रतिवादी कंगना को तीन हफ्ते के भीतर अपना जवाब दायर करने को कहा। इस मामले की अगली सुनवाई तीन हफ्ते बाद होगी। याचिका में आरोप लगाया गया है कि मंडी संसदीय सीट से बतौर आजाद प्रत्याशी चुनाव लड़ने के लिए नामांकन पत्र भरने वाले लायक राम नेगी ने विभाग का एक नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट नहीं दिया था। ऐसे में चुनाव रिटर्निंग अधिकारी ने उनका नामांकन रद्द कर दिया। इस वजह से प्रत्याशी चुनाव नहीं लड़ सका। इसी को लेकर लायक राम नेगी ने अदालत में याचिका दायर की है।