भंग कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर में पेपर लीक मामले में विजिलेंस जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। प्रश्नपत्र लीक पर आधारित इस मामले में ओएमआर (ऑप्टिकल मार्क रिकॉग्निशन) यानी उत्तर पुस्तिका का सौदा होने की बात पहली बार सामने आई है। खास बात यह है कि यह भर्ती प्रक्रिया साल 2021 में शुरू हुई थी। ऐसे में पेपर लीक और भर्तियों के सौदे का यह खेल लंबे समय से चल रहा था।
मामले में पोस्ट कोड 822 असिस्टेंट स्टोरकीपर की भर्ती परीक्षा में दर्ज 14वीं एफआईआर की जांच में यह खुलासा हुआ है कि प्रश्नपत्र का नहीं, बल्कि ओएमआर शीट का एक लाख रुपये में सौदा हुआ था। ओएमआर शीट टेंपर कर सवालों के जवाब बदले गए थे। इस परीक्षा का नतीजा मार्च 2022 में घोषित किया था, जिसमें आरोपी अमित रावत ने टॉप किया था। साल 2021 में इस भर्ती परीक्षा की प्रक्रिया शुरू हुई थी। लिखित परीक्षा के बाद ही आरोपी अमित आयोग कार्यालय के बाहर ढाबा चलाने वाले दलाल सोहन के संपर्क में आया था। इस दौरान उसने एक लाख रुपये में उसे अच्छे अंकों से अमित को पास करवाने का ऑफर दिया। इस सौदे के तहत ओएमआर शीट को टेंपर किया गया।
डेढ़ साल की पेपर लीक मामले की जांच में आयोग के कर्मियों, इस मामले में संलिप्त दलालों और अन्य आरोपियों के रिकॉर्ड व संपर्कों को खंगालने से ये खुलासे हुए हैं। आरोपी अमित बिजली बोर्ड हमीरपुर में साल 2022 से सेवाएं दे रहा था। अब इस मामले में कई और लोगों पर गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुई है। गौर हो कि 23 दिसंबर 2022 को जेओए आईटी परीक्षा के पेपर लीक मामले में पहली एफआईआर दर्ज हुई थी। 26 दिसंबर को सरकार ने आयोग का कामकाज निलंबित किया।
अंतरिम जमानत याचिका पर भी सुनवाई
विजिलेंस मंडी के एसपी कुलभूषण वर्मा ने कहा कि दोनों आरोपियों अमित रावत व ढाबा मालिक दलाल सोहन को 28 अगस्त को अदालत में पेश किया जाएगा। मामले में एक अन्य अभ्यर्थी रेखा कुमारी, सेवानिवृत्त अंडर सेक्रेटरी युद्धवीर सिंह और दलाल रवि कुमार की अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई 28 अगस्त को होगी। सुनवाई के दौरान अदालत में विजिलेंस अपना पक्ष रखेगी।