हिमाचल प्रदेश में ‘किराये की कोख’ कमाई का जरिया तो नहीं बन रही है। इसकी जांच के लिए कमेटी गठित की जाएगी। विधानसभा की तीन महिला सदस्यों को सरोगेसी बोर्ड का सदस्य बनाया जाएगा। हिमाचल प्रदेश विधानसभा में सर्वसम्मति से इस बाबत प्रस्ताव पास किया गया। विधानसभा में स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल ने राज्य सहायक प्रजनन तकनीक और सरोगेसी अधिनियम के तहत प्रदेश विधानसभा की तीन महिला सदस्यों को बोर्ड सदस्य बनाने का प्रस्ताव रखा।
शांडिल ने कहा कि सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम 2021 की धारा 26 और 27 के प्रावधानों के अनुसार विधानसभा के सदस्य मनोनीत किया जाना चाहिए। सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (एआरटी) और सरोगेसी के लिए राज्य बोर्डों का गठन, सरोगेसी अधिनियम, 2021 के तहत किया जाता है। इन बोर्डों का काम सहायक प्रजनन तकनीक सेवाओं को नियंत्रित करना है। सरोगेसी के वाणिज्यिक पैमाने पर हो रहे दुरुपयोग को रोकने के लिए सरोगेसी अधिनियम 2021 लाया गया है।
इस कानून के जरिये केवल मातृत्व प्राप्त करने के लिए ही सरोगेसी की अनुमति देने का प्रावधान है। इस कानून के जरिये सरोगेट मां को गर्भ की अवधि के दौरान चिकित्सा खर्च और बीमा कवरेज के अलावा कोई भी और वित्तीय मुआवजा नहीं दिया जा सकता। पहले सरोगेसी के लिए लोग ज्यादा से ज्यादा खर्च किया करते थे, जिसके कारण सरोगेसी को आर्थिक लाभ या अन्य लाभ और व्यवसाय के लिए भी अपनाया जाने लगा था।
स्कूल शिक्षा बोर्ड के सदस्य मनोनीत होंगे तीन विधायक
विधानसभा के तीन सदस्यों को स्कूल शिक्षा बोर्ड के सदस्यों के तौर पर मनोनीत करने संबंधी प्रस्ताव शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर की अनुपस्थिति में राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने सदन में रखा। बताया कि भवानी सिंह पठानिया, सुदर्शन सिंह बबलू और चैतन्य शर्मा स्कूल शिक्षा बोर्ड के तीन सालों के लिए सदस्य मनोनीत किए गए थे। इनमें से चैतन्य शर्मा अब विधानसभा सदस्य नहीं है और भवानी योजना विभाग के उपाध्यक्ष हैं। बोर्ड अधिनियम के तहत इन सदस्यों का कार्यकाल स्वत: ही खत्म हो गया है। इसलिए सदन अध्यक्ष को तीन सदस्यों को मनोनीत करने को प्राधिकृत करता है।