हिमाचल में मंकी पाॅक्स के संदिग्ध मरीजों के सैंपलों की जांच आईजीएमसी शिमला और एनआईवी पुणे में होगी। इसको लेकर स्वास्थ्य महकमे ने प्रदेश के सभी अस्पतालों को निर्देश जारी कर दिए हैं।
महकमे ने लोगों से भी आग्रह किया है कि अगर शरीर में गिल्टियां हैं या फिर तेज बुखार, दर्द समेत अन्य लक्षण तो उसे हल्के में न लें। ऐसे लक्षण दिखने पर चिकित्सक को दिखाएं। अस्पतालों को संबंधित लक्षण लेकर आने वाले मरीजों की ट्रेवल हिस्ट्री का पता लगाने के लिए भी कहा है।
विदेश से आने वाले लोगों पर नजर रखने के लिए आशा वर्कर और हेल्थ केयर वर्कर को निर्देश दिए हैं। देश में मंकी पॉक्स के मामले आने शुरू हो गए हैं। चिकित्सकों के अनुसार मंकी पॉक्स एक वायरल संक्रमण है। यह वायरस पीड़ित व्यक्ति की चपेट में आने से फैलता भी है। मंकी पॉक्स के कारण दाने, लिंफ नोड्स में सूजन, तेज बुखार, मांसपेशियों में दर्द और अन्य लक्षण हो सकते हैं। इसके कुछ प्रकार गंभीर भी बन सकते हैं।
ऐसे फैलती है बीमारी
मंकी पॉक्स किसी संक्रमित व्यक्ति के काफी करीब आने पर फैलता है। मान लें कि आप संक्रमित मरीज की त्वचा को छू लें। शारीरिक संबंध बना लें, संक्रमित इंसान के बिस्तर पर लेट जाएं या उसके कपड़ों का इस्तेमाल कर लें। देर तक आमने-सामने बात करने से भी मंकी पॉक्स वायरस एक से दूसरे इंसान में जा सकता है।
मंकी पॉक्स का कोई भी संदिग्ध मामला अभी अस्पतालों में नहीं है। विभाग पूरी तरह से अलर्ट है। अस्पतालों में संदिग्ध मरीजों के सैंपल लेकर जांच के लिए आईजीएमसी शिमला और एनआईवी पुणे स्थित लैब भेजे जाएंगे।