हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में अब सड़क से एक मीटर नीचे ही भवनों का निर्माण होगा। टीसीपी मंत्री राजेश धर्माणी ने प्रदेश विधानसभा में कहा कि वैली व्यू को बचाए रखने के लिए सरकार ने यह फैसला किया है। पहले हिमाचल में सड़क से डेढ़ मीटर ऊपर तक भवन निर्माण करने का प्रावधान था। आठ शहरों के डेवलपमेंट प्लान की अवधि समाप्त होने पर इन्हें अब अमृत योजना में बजट मिला है। इन क्षेत्रों में नगर नियोजन एक्ट के तहत काम हो रहा है।
प्रश्नकाल के दौरान नाहन से कांग्रेस विधायक अजय सोलंकी के सवाल पर मंत्री राजेश धर्माणी ने सदन में स्थिति स्पष्ट की। धर्माणी ने बताया कि उच्च न्यायालय ने कुसुम बाली बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य शीर्षक वाले सीडब्ल्यूपी आईएल संख्या 13/2021 के मामले में राज्य सरकार को चार लेन/ राष्ट्रीय/ राज्य राजमार्गों के साथ-साथ विभिन्न योजना/विशेष क्षेत्रों के वैली व्यू की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। वैली व्यू का प्रावधान सुंदर दृश्यों की सुरक्षा और प्राकृतिक परिदृश्य को बनाए रखने के लिए निर्धारित किया गया है, जो हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य के सौंदर्य और पर्यावरणीय मूल्य में योगदान दे सकता है।
हिमाचल प्रदेश के 34 क्षेत्रों के लिए डेवलपमेंट प्लान अधिसूचित किया था। 11 शहरों बिलासपुर, ऊना, हमीरपुर, पालमपुर, सोलन, नाहन, मंडी, कसौली, रामपुर, चंबा और डलहौजी के प्लान की अवधि वर्ष 2021 में समाप्त हो गई। मुख्य सड़कों के आसपास निर्माण कार्यों पर नजर रखने को प्लानिंग एरिया बनाए गए हैं। प्लानिंग एरिया में शामिल मंडी, सोलन, पालमपुर, चंबा, बिलासपुर, ऊना, हमीरपुर और नाहन के लिए केंद्र ने योजना में 1.22 करोड़ का बजट जारी किया है। रामपुर, डलहौजी और कसौली के लिए योजना बनाई जा रही है।
विपक्ष की गैरमौजूदगी में अनुदान सहायता का प्रस्ताव पारित
प्रदेश विधानसभा ने राज्य में वर्ष 2023-24 के दौरान आई प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र से शतप्रतिशत अनुदान के रूप में सहायता राशि प्रदान करने के लिए वीरवार को एक संकल्प पारित किया। अब इसे केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। यह संकल्प मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बुधवार को सदन में पेश किया था। विधानसभा सदन में प्रस्ताव पारित के दौरान विपक्ष नदारद रहा। इस संकल्प प्रस्ताव पर वीरवार को सदन में चर्चा हुई है। संकल्प के अनुसार जिस प्रकार वर्ष 2024-25 के बजट में केंद्र सरकार ने 3 आपदा प्रभावित राज्यों सिक्किम, असम और उत्तराखंड के बाढ़ प्रबंधन और संबंधित परियोजनाओं के लिए अनुदान के रूप में सहायता देने की घोषणा की है, उसी तर्ज पर हिमाचल को भी शतप्रतिशत सहायता राशि प्रदान की जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री ने सीधी सहायता देने के बजाय मल्टीलेटरल फंडिंग एजेंसी से बाह्य सहायता देने की बात कही है। यह सहायता 80:20 के अनुपात में मिलती है और प्रदेश को इसमें अपना 28 फीसदी हिस्सा देना पड़ता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के तहत केंद्र से मिल रहा पैसा हिमाचल का अधिकार है और केंद्र यह पैसा देकर कोई खैरात नहीं बांट रहा है, क्योंकि यह राशि 15 वें वित्तायोग की सिफारिशों के अनुसार हर राज्य को दी जाती है। उन्होंने कहा कि बीते वर्ष मानसून सीजन के दौरान 386 लोगों की मृत्यु हुई, जबकि कई लोग अभी भी लापता है। उन्होंने कहा कि इसी तरह लगभग 24,885 घर क्षतिग्रस्त हुए। सुक्खू ने कहा कि वह जल्द ही केंद्रीय वित्त मंत्री से मुलाकात करेंगे। वह अपने अधिकारों और केंद्र से आवंटन के लिए लड़ेंगे और भाजपा की तरह मूकदर्शक नहीं बने रहेंगे।