हिमाचल प्रदेश में अब हर शहर के लिए भवन निर्माण के अलग-अलग नियम होंगे। इसके लिए सरकार डेवलपमेंट प्लान तैयार कर रही है। अमृत-1 के तहत शिमला और कुल्लू, जबकि धर्मशाला, ऊना, मंडी, सोलन, नाहन और चंबा शहर में अमृत-2 प्लान के तहत नियम बनाए गए हैं। अब नगर निकायों के लिए भी डेवलपमेंट प्लान बनाने के लिए सरकार ने मंजूरी दे दी है।
डेवलपमेंट प्लान में भवन बनाने के लिए स्ट्रक्चर डिजाइन और इंजीनियर की रिपोर्ट होना जरूरी है। बिजली, पानी, सड़कों, मंडियों व अन्य मूलभूत सुविधा को ध्यान में रखते हुए इसे बनाया गया है। शिमला डेवलपमेंट प्लान की तर्ज पर शहरी निकायों के लिए भवन बनाने के प्लान बनाए गए हैं। प्राकृतिक आपदा में जो मकान गिरे या क्षतिग्रस्त हुए हैं, उनका मुख्य कारण स्ट्रक्चर डिजाइन और इंजीनियरों से सलाह न लिया जाना बताया जा रहा है। शिमला प्लानिंग एरिया में तीन से पांच मंजिला तक भवन बनाने को अनुमति दी गई है। जहां पांच मीटर सड़क है, वहां लोग पांच मंजिला तक भवन निर्माण कर सकते हैं।
जहां सड़क सुविधा नहीं है, वहां दोमंजिला भवन और एटिक का निर्माण किया जा सकता है। इसकी ऊंचाई 10 फुट के करीब की गई है। यानी इसे मिलाकर लोगों को तीन मंजिलें मिल रही हैं। ऐसा ही प्लान प्रदेश सरकार अन्य शहरी निकायों के लिए भी तैयार कर रही है। प्रदेश में 59 शहरी निकाय हैं। टीसीपी मंत्री राजेश धर्माणी ने विधानसभा में इसे लेकर विस्तृत जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों के लिए डेवलपमेंट प्लान बनाने की सख्त जरूरत है।
नालों और खड्डों से उचित दूरी पर बनेंगे भवन
हिमाचल प्रदेश में अब नालों और खड्डों के किनारे उचित दूरी पर भवनों का निर्माण करना होगा। नालों से 5 मीटर, जबकि खड्डों व नदी से 7 मीटर छोड़कर ही लोग भवनों का निर्माण कर सकेंगे। सरकार ने इस बाबत नियम लागू कर दिए हैं। इससे पहले नालों से 3, जबकि खड्डों और नदी से 5 मीटर की दूरी पर भवनों का निर्माण होता था।