हिमाचल प्रदेश के सभी जिलों में अक्तूबर से सरकारी स्कूलों को गोद लेने का अभियान चलेगा। अकेले जिला शिमला में ही 100 अधिकारियों ने स्कूलों में सुधार लाने का जिम्मा संभाल लिया है। प्रदेश के अन्य जिलों में भी अब इस अभियान को शिक्षा विभाग तेजी से चलाएगा। सरकारी स्कूलों में सुधार लाने को स्कूल एडॉप्शन कार्यक्रम तैयार किया गया है। प्रदेश में सभी मंत्री, विधायक, सांसद और अफसर सरकारी स्कूल गोद लेंगे। गोद लेने वालों को मैंटर बनाकर स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं जुटाने और गुणात्मक शिक्षा के लिए भी सहयोग करना होगा।
शिक्षा विभाग की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार प्रदेश से चुने गए लोकसभा एवं राज्यसभा सांसद, सभी मंत्री, विधायक, श्रेणी-1 व 2 के राजपत्रित अधिकारी जैसे उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक, वन मंडलाधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, उपमंडलाधिकारी, खंड विकास अधिकारी, खंड चिकित्सा अधिकारी व पुलिस उपाधीक्षकों को कम से कम एक स्कूल गोद लेकर उसका संरक्षक बनना होगा। ये संरक्षक अध्यापकों और स्कूल प्रबंधन समितियों को स्कूलों में वांछित सुधार के लिए सुझाव प्रस्तुत करेंगे।
सचिवालय व निदेशालय में सेवाएं दे रहे शिक्षा विभाग के अधिकारी, उपनिदेशक, जिला कार्यक्रम अधिकारी, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के समन्वयक, प्रधानाचार्य, राज्य शिक्षा परिषद अनुसंधान, प्रशिक्षण और हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के अधिकारी भी 1-1 स्कूल गोद लेंगे। राजकीय पाठशालाओं के लिए शैक्षिक सहायता टीम और गैर-शैक्षिक सहायता टीमों का भी गठन किया जाएगा। यह टीम बिना किसी वित्तीय या अन्य लाभ के सरकार का सहयोग करेगी। अपना विद्यालय कार्यक्रम के लिए समग्र शिक्षा अभियान द्वारा एक ऑनलाइन पोर्टल विकसित किया जाएगा।
यह पब्लिक डोमेन पर उपलब्ध रहेगा, जिससे जनता के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके। इस कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण घटक व्यवस्थित किशोर प्रबंधन एवं मूल्यवर्द्धन संवाद है, जिसके तहत विभिन्न विभाग मिलकर स्कूली छात्रों का व्यक्तिगत विकास व सशक्तिकरण करेंगे। प्रारंभिक शिक्षा निदेशक आशीष कोहली ने बताया कि निदेशालय के अधिकांश अधिकारियों ने स्कूल गोद ले लिए हैं। जिला शिमला में अभियान तेजी से चला है। पूरे प्रदेश में इसको लेकर जागरूक किया जा रहा है।