56 साल पुरानी सिंधु जल संधि के कारण हिमाचल अपने ही पानी का इस्तेमाल नहीं कर पा रहा

Due to the 56-year-old Indus Water Treaty Himachal is not able to use its own water

पाकिस्तान के साथ 56 साल पुरानी सिंधु जल संधि के कारण हिमाचल प्रदेश अपने ही पानी का इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है। लाहौल-स्पीति से निकलने वाली चिनाब पर न बिजली प्रोजेक्ट लग पा रहे हैं और न ही इस नदी का पानी सिंचाई के काम आ रहा है। संधि में प्रावधान होने के बावजूद चिनाब बेसिन पर हर परियोजना पर पाकिस्तान आपत्ति करता रहा है।

पूर्व में पाकिस्तान चिनाब, झेलम और सिंधु नदियों पर बनने वाले लगभग 30 बिजली प्रोजेक्टों पर आपत्ति दर्ज करवा चुका है। इनमें बिना पानी रोके बना लाहौल का 4.5 मेगावाट का थियोट प्रोजेक्ट भी शामिल है। सिंधु जल समझौते के तहत तीन पश्चिमी नदियां चिनाब, झेलम एवं सिंधु का पानी पाकिस्तान को दिया गया है। बिजली उत्पादन, कृषि आदि के लिए इन नदियों के पानी के सीमित इस्तेमाल का अधिकार भारत को है।

चिनाब का उद्गम हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति से है। यहां इस नदी को चंद्रभागा कहते हैं। जेएंडके में प्रवेश करते ही इसका नाम चिनाब हो जाता है। हिमाचल के करीब 960 किलोमीटर क्षेत्र में औसतन 800.60 क्यूसिक मीटर पानी लेकर बहने वाली इस नदी का उपयोग हिमाचल नहीं कर पा रहा। आलू और मटर जैसी कई फसलों के लिए मशहूर लाहौल में ही खेती के लिए इस नदी के पानी का उपयोग न के बराबर होता है। 

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