हिमाचल में हिंदू-मुस्लिमों में हमेशा रहा है भाईचारा, एक साथ मनाते तीज-त्योहार

राजधानी शिमला में मस्जिद में कथित अवैध निर्माण से उपजे विवाद से देवभूमि में जिस तरह के धरने और विरोध-प्रदर्शन हुए, वैसा कभी पहले नहीं हुआ। हिमाचल प्रदेश में हिंदुओं और मुसलमानों में हमेशा भाईचारा रहा है।  पुश्त दर पुश्त रह रहे मुस्लिम समुदाय के लोग मेलों-त्योहारों में भी शामिल होते रहे हैं और रामलीला में किरदार भी निभाते आए हैं। अपने मजहब में रहकर भी देवी-देवताओं से जुड़ी परंपराओं में यहां रह रहे मुस्लिम हिस्सा लेते आए हैं। हिमाचल प्रदेश में मुस्लिम समुदाय की करीब 3 फीसदी आबादी है। जिला शिमला की तहसील कोटखाई के गांव चकरौत के मोहम्मद लतीफ का कहना है कि उनके समुदाय के लोग इस क्षेत्र में कई पुश्तों से रह रहे हैं।

स्थानीय मुस्लिम जहां अपने मजहब इस्लाम से जुड़े हैं तो देवी-देवताओं से जुड़ी लोक परंपराओं में भी उनकी हिस्सेदारी रहती है। उनके पड़ोस में ही देवी दुर्गा का मंदिर है। मंदिर की ओर से जो भी पारंपरिक प्राच या चढ़ावा आदि लिया जाता है, वे इसे परंपरा का सम्मान करते हुए खुशी-खुशी देते हैं। मोहम्मद लतीफ मुस्लिम वेलफेयर सोसाइटी शिमला के भी प्रधान हैं। उनका कहना है कि पीढ़ी दर पीढ़ी यहां रहते आए मुसलमानों का हिंदू भाइयों से सदियों से भाईचारा रहा है। उन्होंने कहा कि बाहर से आने वाले सभी लोग खराब नहीं होते हैं। उनकी आड़ में कुछ शरारती तत्व भी आ जाते हैं।

तो अमन, शांति और भाईचारे से रहते हैं। इसी तरह बिलासपुर के रौड़ा सेक्टर निवासी हाजी अब्दुल रजाक का कहना है कि वह 13 साल से राशन डिपो मोहल्ले में हिंदू समुदाय के साथ मिलकर रामलीला का मंचन करते आ रहे हैं। रामलीला में आधे से ज्यादा किरदार उनके बच्चे निभाते हैं। दशहरा पर शोभायात्रा निकाली जाती है, जिसमें उनके समुदाय के लोग भी शामिल होते हैं। रामलीला के आयोजन में मुस्लिम लोग मुख्य अतिथि के स्वागत, प्रसाद वितरण, कलाकारों का मेकअप, फंड एकत्रित करने, मंच सज्जा आदि में भी सहयोग करते हैं। दोनों समुदाय के इसी भाईचारे को आगे बढ़ाते हुए तीन साल से मोहल्ले में भजन संध्या का आयोजन भी किया जा रहा है। दोनों समुदायों का यह भाईचारा दशकों से इसी सद्भाव से चलता आया है। 

इसी तरह से चंबा के मशहूर मिंजर मेले में मुस्लिम मिर्जा परिवार के बनाए मिंजर को मंदिर में चढ़ाया जाता है, उसी के बाद मेले की शुरुआत होती है। नाहन में भगवान जगन्नाथ की यात्रा में भी मुस्लिम समुदाय के लोग रथ खींचते हैं। राज्य में मुस्लिम समुदाय के लोगों की संख्या करीब तीन फीसदी है, जो दो लाख से ज्यादा हैं। हालांकि, सही आंकड़ों के लिए नई जनगणना का इंतजार किया जा रहा है। 2011 की जनगणना के हिसाब से हिमाचल प्रदेश में 1,49,881 मुस्लिम थे, जो 2001 की जनगणना की तुलना में करीब 20 फीसदी बढ़े। इस समुदाय के सबसे ज्यादा लोग सिरमौर और चंबा जिले में रहते हैं। यहां इनकी संख्या करीब एक लाख है। शिमला में वर्तमान में इस समुदाय के करीब 20 हजार और मंडी में 15 हजार लोग रहते हैं। इनमें से ज्यादातर यहां आजादी के पहले से बसे हुए हैं। हिमाचल प्रदेश में करीब 95 से 96 प्रतिशत हिंदू रहते हैं। अन्य समुदायों में बौद्ध, सिख, जैन और ईसाई भी हैं।

लोकसभा और विधानसभा नहीं पहुंच पाया कोई मुस्लिम नेता
प्रदेश में अब तक लोकसभा और विधानसभा के लिए कोई मुस्लिम नेता नहीं पहुंच पाया है। इसका कारण यह है कि प्रदेश में कोई भी दल मुस्लिम समुदाय के नेताओं को टिकट नहीं देता। राज्य में कई मुस्लिम समुदाय के लोग सरकारी अधिकारी और कर्मचारी भी हैं

मुसलमानों की संख्या, पिछली जनगणनाओं के हिसाब से
जिला            2001         2011
बिलासपुर      5,938       6,984
चंबा             26,801     32,455
हमीरपुर       3,489       3,711
कांगड़ा        15,951     19,797
किन्नौर         306           448
कुल्लू           1,788       2,974
लाहौल-स्पीति  134        74
मंडी             8,309      9,460
शिमला         8,493      11,810
सिरमौर        25,618     33,215
सोलन         11,053      14,678
ऊना           11,632       14,275
कुल           1,19,512    1,49,881

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