हिमाचल प्रदेश के पांच टोल बैरियरों पर नवंबर से फास्टैग से शुल्क वसूला जाएगा। अक्तूबर के पहले सप्ताह में कंपनी का चयन कर लिया जाएगा। राज्य इलेक्ट्रानिक्स कारपोरेशन ने इस बाबत प्रक्रिया शुरू कर दी है। बिलासपुर, परवाणू, सिरमौर, कंडवाल और ऊना में स्थित टोल बैरियरों से इसकी शुरुआत होनी है
पहले चरण में फोरलेन से जुड़े टोल बैरियरों पर यह व्यवस्था लागू होगी। जिला बिलासपुर में गरामोड़ा, जिला सोलन में परवाणू-टीपरा, जिला सिरमौर में गोविंदघाट, आबकारी जिला नूरपुर में कंडवाल और जिला ऊना में मैहतपुर बैरियर पर फास्टैग से वसूली की तैयारी है। शेष बैरियर दूसरे चरण में कवर होंगे। इस व्यवस्था के शुरू होने से बाहरी राज्यों के नंबर वाले वाहनों को नकद राशि देने के लिए लंबी लाइनों में लगने से छुटकारा मिल जाएगा। हिमाचल प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों के पंजीकरण नंबर वाले वाहनों को सुव्यवस्थित भुगतान प्रक्रियाओं का लाभ देने के लिए इस व्यवस्था को शुरू किया जा रहा है। इससे नकद लेनदेन के लिए कतार में लगने की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी।
यह कदम हिमाचल प्रदेश के परिवहन प्रबंधन में डिजिटल प्रगति को अपनाने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करने के लिए उठाया जा रहा है। अभी टोल प्लाजा पर फास्टैग के माध्यम से शुल्क लिया जाता है। टोल बैरियरों पर नकद भुगतान की ही व्यवस्था है। इस कारण बैरियरों पर वाहनों की लंबी कतारें लगी रहती हैं। बाहरी राज्यों से प्रदेश में आने वाले लोगों को राहत देने के लिए सरकार ने पुरानी व्यवस्था में बदलाव करने का फैसला लिया है। फास्टैग की व्यवस्था करने के लिए आने वाले खर्च को टोल बैरियर संचालक उठाएंगे।
प्रदेश में हैं 55 टोल बैरियर
प्रदेश के तहत 55 टोल बैरियर आते हैं। पहले चरण में फोरलेन से जुड़े पांच बैरियरों पर फास्टैग से प्रवेश शुल्क वसूली करने का फैसला लिया गया है। योजना की सफलता के बाद अन्य बैरियरों को भी इसके दायरे में लाया जाएगा। टोल बैरियरों पर विभिन्न श्रेणियों के वाहनों से लिया जाने वाला प्रवेश शुल्क 24 घंटे के लिए मान्य होता है। निजी वाहन चालकों से 60 रुपये शुल्क लिया जाता है। अन्य वाहनों का उनकी उपयोगिता के हिसाब से शुल्क तय किया गया है।