हिमाचल में कम पैदावार से इस साल जंगली अनारदाना 200 से 300 रुपये ऊंचे दामों पर बिक रहा है। जंगलों में आग की घटनाओं और कम बारिश से इस साल जंगली अनारदाना का उत्पादन बीते साल के मुकाबले आधे से भी कम है।
पाकिस्तान से आयात बंद होने के कारण हिमाचल के जंगली आनारदाना की मांग बढ़ गई है। हिमाचल के अनारदाना का रंग चटक लाल होता है और इसमें खटास भी अधिक होती है इसलिए मसाले बनाने वाली कंपनियां इसे हाथों हाथ लेती हैं।मसालों के अलावा आयुर्वेदिक दवाएं, पाचक चूर्ण और गोलियां बनाने में अनारदाना इस्तेमाल होता है। अनारदाना की चटनी खाने में जहां स्वादिष्ट होती है वहीं गर्मी में पाचन क्रिया को भी दुरुस्त रखती है। अनारदाना खरीदने के लिए देश की बड़ी मसाला कंपनियों एमडीएच, एवरेस्ट, रुचि और पतंजलि के प्रतिनिधियों ने स्थानीय कारोबारियों से संपर्क साधना शुरू कर दिया है।
राजधानी शिमला के गंज बाजार में अनारदाना की आमद शुरू हो गई है। सुन्नी, भज्जी, दाड़गी, धामी, माहूनाग के लोग अनारदाना बेचने शिमला आते हैं। इस साल सीजन की शुरुआत में ही अनारदाना 700 से 800 रुपये प्रति किलो बिक रहा है, पिछले साल रेट 400 से 500 रुपये किलो था। गंज बाजार में हंसराज आढ़त के संचालक मनु सूद ने बताया कि हर साल गंज मंडी में करीब 2500 क्विंटल अनारदाना पहुंचता है। जंगलों में आग की घटनाओं और मौसम अनुकूल न रहने के कारण इस साल उत्पादन आधे से भी कम है इसलिए सीजन की शुरूआत में ही दाम 200 से 300 रुपये किलो अधिक चल रहे हैं। पुरानी दिल्ली की सबसे बड़ी मसाला मार्केट खारी बावली के कारोबारी सुभाष चंद ने बताया कि मांग अधिक और सप्लाई कम होने के कारण इस साल अनारदाना के दामों में तेजी चल रही है।