हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में सर्कुलर रोड पर 295 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली नवबहार-आईजीएमसी टनल के प्रोजेक्ट में बदलाव करने का फैसला लिया है। अब इस डबललेन टनल का निर्माण नवबहार की जगह टॉलैंड चौक से आईजीएमसी क्षेत्र के लिए किया जाएगा। पूरे सर्कुलर रोड से यातायात जाम खत्म करने के लिए सरकार ने इस प्रोजेक्ट में बदलाव करने के निर्देश दिए हैं। सरकार के निर्देशों के बाद इस प्रोजेक्ट का जिम्मा संभाल रहे एचपी रोड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कार्पोरेशन ने नई डीपीआर बनाने की तैयारी कर ली है। टॉलैंड चौक से टनल बनाने की संभावनाएं देखने के लिए पहले विशेषज्ञों की रिपोर्ट ली जा रही है।
इसके बाद विस्तृत डीपीआर तैयार होगी। टॉलैंड से आईजीएमसी क्षेत्र के लिए बनने वाली टनल की लंबाई पहले प्रस्तावित टनल से ज्यादा होगी। पहले सरकार ने नवबहार क्षेत्र की चुड़ैल बावड़ी से आईजीएमसी क्षेत्र के लिए टनल बनाने का फैसला लिया था। इसकी बाकायदा डीपीआर भी तैयार कर ली थी। करीब 295 करोड़ रुपये से 890 मीटर लंबी टनल का निर्माण होना था। सरकार ने पहली किस्त के तौर पर सौ करोड़ रुपये भी जारी कर दिए थे। हालांकि अब नई डीपीआर तैयार की जाएगी। इस टनल के निर्माण का शहर के लोगों को भी इंतजार है। एचपीआरआईडीसी के निदेशक पवन शर्मा ने कहा कि अब टॉलैंड से आईजीएमसी के लिए टनल का निर्माण होगा।
सर्कुलर रोड का खत्म होगा जाम
टॉलैंड चौक से आईजीएमसी क्षेत्र के लिए टनल बनने से निर्माण की लागत तो बढ़ेगी लेकिन इसका फायदा पहले प्रस्तावित टनल से कई गुना ज्यादा होगा। पहले नवबहार से टनल बननी थी। इससे संजौली क्षेत्र में तो यातायात जाम कम होना था। लेकिन छोटा शिमला, पुराना बस अड्डा और लक्कड़ बाजार क्षेत्र में इसका फायदा नहीं मिलना था। पूरे सर्कुलर रोड पर यातायात जाम कम हो, इसलिए सरकार ने टॉलैंड से टनल निर्माण के निर्देश दिए हैं।
टनल बनने के बाद ऐसे चलेंगे वाहन
टॉलैंड चौक से टनल बनने के बाद अपर शिमला से टुटीकंडी आने जाने वाले वाहन और बसें सीधे ढली बाईपास होकर आईजीएमसी से टॉलैंड पहुंचेंगी। इन्हें संजौली चौक या छोटा शिमला नहीं जाना पड़ेगा। वहीं पंथाघाटी और टुटीकंडी से खलीनी होकर आने वाले वाहनों को आईजीएमसी या अपर शिमला जाने के लिए बस अड्डे या छोटा शिमला जाने की जरूरत नहीं रहेगी। यह टनल से सीधे आईजीएमसी क्षेत्र पहुंच जाएंगे। सर्कुलर रोड पर बनने वाली यह टनल सबसे ज्यादा फायदेमंद होगी। इससे दोनों क्षेत्रों के बीच की दूरी भी करीब पांच किलोमीटर तक घट जाएगी।