इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (आईजीएमसी) शिमला में स्क्रब टायफस के मामले फिर से आने लगे हैं। आईजीएमसी में स्क्रब टायफस के चार नए मामले आए हैं जिसमें से एक मामला न्यू शिमला से है। चारों मरीजों को अस्पताल के महिला और पुरुष वार्ड में दाखिल किया है। इनमें तीन महिलाएं और एक पुरुष है। आईजीएमसी में रोजाना सैकड़ों मरीज उपचार करवाने के लिए आते हैं। मेडिसिन ओपीडी में उपचार करवाने आए मरीजों की संख्या अधिक होती है। अस्पताल में सोमवार को भी औसतन 100 से अधिक मरीजों ने मेडिसिन की ओपीडी में उपचार करवाया। इस दौरान ओपीडी के बाहर मरीजों की लंबी लाइनें लगी रहीं। इनमें जिला शिमला के कुमारसैन, कोटखाई, जुब्बल, करसोग और साेलन से आए मरीजों में बुखार, कंपकंपी जैसे लक्षणों मिले हैं। हालांकि अधिकांश मरीजों को चिकित्सकों ने ओपीडी में ही प्राथमिक उपचार देकर घर भेज दिया। इनमें किसी भी मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं आई।
अब तक 52 मामले आए, दो की मौत
आईजीएमसी में इस साल अब तक 580 मरीजों के स्क्रब टायफस के टेस्ट करवाए हैं। लैब में करीब 580 सैंपलों की जांच हुई है। इनमें 52 की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इनमें एक मंडी के रहने वाले 59 और शिमला के पंथाघाटी के रहने वाले 91 साल के बुजुर्ग मरीज की मौत हो चुकी है।
स्क्रब टायफस के लक्षण
- 104 से 105 डिग्री तक बुखार
- जोड़ों में दर्द और कंपकपी के साथ बुखार आना
- शरीर में अकड़न या टूटा हुआ महसूस होना
- गर्दन, बाजू के नीचे और कूल्हों के ऊपर गिल्टियां होना
ऐसे करें बचाव
- शरीर की सफाई का ध्यान रखें
- घर और आसपास का वातावरण साफ रखें
- घर के चारों ओर घास तथा खरपतवार न उगने दें
- कीटनाशक दवाओं का करें छिड़काव
घास में पाए जाने वाले कीट से होता है स्क्रब टायफस
आईजीएमसी के मेडिसिन विभाग के सहायक प्रो. डॉ. उष्येंद्र शर्मा ने बताया कि स्क्रब टायफस घास में पाए जाने वाले एक माइट कीट के काटने से होता है। अब घास कटाई का काम शुरू होने से फिर से मामले सामने आने लगे हैं। इसके लक्षण कुछ दिनों बाद सामने आते हैं। कहा कि जिन लोगों को सांस लेने में परेशानी हो और वह किडनी की बीमारी से जूझ रहे हैं तो उन्हें तुरंत ध्यान देने की जरूरत है। हल्की सी लापरवाही गंभीर समस्या पैदा कर सकती है। पेट में दर्द लगना, भूख न लगने जैसे लक्षण हैं तो भी अनदेखी न करें और समय रहते उपचार के लिए अस्पताल आएं।