कुलपति की नियुक्ति के विधेयक पर राज्यपाल का बयान, बोले- सरकारों को सार्वजनिक हित नहीं हड़पना चाहिए

hp governor Shiv Pratap Shukla statement over Agriculture  and Horticulture University vc appointment Bills

कृषि विवि पालमपुर और बागवानी विवि नौणी में कुलपति की नियुक्ति के बिल पर राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल अपनी प्रतिक्रिया दी है।  जुन्गा में फ्लाइंग फेस्टिवल के शुभारंभ के बाद बिल में राज्यपाल की शक्तियों को कम करने से संबंधित पत्रकारों के सवाल पर शुक्ल ने कहा कि अभी बिल उनके पास नहीं आया है। जब बिल आ जाएगा तो देखा जाएगा उसमें क्या पास किया है। लेकिन उनका एक बयान ठीक नहीं है, जिसमें कहा गया है कि सरकार पैसा देती है। राज्यपाल ने आगे कहा कि सरकार पैसा देती है तो वह प्राइवेट संस्था नहीं है। वह हिमाचल की सार्वजनिक संस्था है। सार्वजनिक हित के लिए सरकारों को अपनी कुर्बानी देनी चाहिए, न कि सार्वजनिक हित को हड़पना चाहिए।

फ्लाइंग फेस्टिवल से साहसिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा
राज्यपाल ने कहा कि फ्लाइंग फेस्टिवल से हिमाचल में साहसिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इससे निश्चित ताैर पर हिमाचल व जुन्गा को लाभ मिलेगा। इस तरह के आयोजनों से नशे पर भी रोक लगाने में मदद मिलेगी। हिमाचल नशाखोरी के मामले में दूसरा राज्य बन गया है। इसलिए हमे हर संभव प्रयास करके हिमाचल से नशे को दूर करना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों को बढ़ावा देना चाहिए। भारत सरकार से भी बात हुई है। भारत सरकार भी चरणबद्ध सीमाओं पर लोगों को बसाने का काम कर रही है। हिमाचल की सहभागिता को भी सुनिश्चित किया जाएगा। 

बता दें, बीते 5 सितंबर को मानसून सत्र में कृषि विवि पालमपुर और बागवानी विवि नौणी में कुलपति की नियुक्ति सरकार की सलाह और सहायता से ही करने का विधेयक विधानसभा में पारित हुआ था। संशोधित विधेयक में प्रबंधन बोर्ड का भी गठन करने का प्रावधान किया गया। इस संशोधित विधेयक का विपक्ष ने जमकर विरोध किया। संशोधित विधेयक को राज्यपाल की शक्तियों का हनन बताया गया। विपक्ष के विरोध के बीच सत्ता पक्ष ने ध्वनि मत से इस विधेयक को पारित किया। सरकार के अनुसार  कुलपति की नियुक्ति में सरकार की सलाह आवश्यक होती है। कृषि और बागवानी विवि में नियुक्तियां सही तरीके से नहीं हो रही। इससे पहले सरकार की ओर से राजभवन को दो विधेयक भेजे गए थे। दो बार इन पर आपत्तियां लगाई गई। दोनों बार सरकार ने अपना पक्ष रखा। जब पता किया गया तो मालूम पड़ा कि विधेयक राष्ट्रपति को भेजे गए हैं। 

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