सुबाथू में पहली गोरखा राइफल्स की 209 वर्षों की वीरता और बलिदान का जश्न…

 

भारतीय सेना की सबसे पुरानी और सबसे प्रतिष्ठित रेजिमेंटों में से एक, पहली गोरखा राइफल्स (1 जीआर) ने 18-19 अक्तूबर, 2024 को हिमाचल प्रदेश के सोलन ज़िला के सुबाथू में अपना रेजिमेंटल री-यूनियन मनाया।1 जीआर रेजिमेंट के कर्नल, लेफ्टिनेंट जनरल संजीव चौहान ने इस अवसर पर संबोधित करते हुए कहा कि पुनर्मिलन उस अटूट बंधन का प्रमाण है, जो रेजिमेंट के सभी सदस्यों को एक साथ बांधता है। यह हमारे साथियों के बलिदान का सम्मान करने और साहस और भाईचारे की साझा विरासत का जश्न मनाने का अवसर है। यह पहली गोरखा राइफल्स की असली पहचान को परिभाषित करता है।

उन्होंने कहा कि इस आयोजन से उन सैनिकों की पीढ़ियों को एक साथ आने का अवसर मिला है, जिन्होंने 209 वर्षों से अधिक समय से चली आ रही वीरता, बलिदान और भाईचारे की परंपरा को निभाते हुए इस रेजिमेंट के बैनर तले देश की सेवा की है। दो दिवसीय इस कार्यक्रम में 500 से अधिक सेवारत अधिकारियों, दिग्गजों और सैन्य परिवारों की भागीदारी देखी रही।

यह रेजिमेंट को एकजुट करने वाले गहरे संबंधों की पुष्टि करता है। पूरे देश और नेपाल के दिग्गजों ने अपने परिवारों के साथ इस विशेष पुनर्मिलन समारोह में भाग लिया, जिससे साथियों के साथ फिर से जुड़ने और पिछली यादों को ताज़ा करने का मंच मिला। पहली गोरखा राइफल्स का एक गौरवशाली इतिहास है। इसने स्वतंत्रता-पूर्व और स्वतंत्रता-उपरान्त भारत की महत्वपूर्ण लड़ाइयों और अभियानों में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है।

इस पुनर्मिलन समारोह में कार्यक्रमों की बड़ी श्रृंखला आयोजित की गई। इसमें युद्ध स्मारक पर शहीदों के सम्मान में पुष्पांजलि समारोह, रेजिमेंट की समृद्ध विरासत का जश्न मनाने के लिए बड़ा खाना, गोरखा राइफल्स की जीवंत परंपराओं को प्रदर्शित करने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम और सैनिकों और दिग्गजों की एक विशेष सभा सम्मिलित है। रेजिमेंट के इतिहास और उपलब्धियों की स्मृति में मूर्तियों, वार्षिक पुस्तिका और स्मारक का अनावरण भी इन समारोहों का हिस्सा था।

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