हिमाचल हाईकोर्ट के वन भूमि पर अवैध अतिक्रमण हटाने पर 1 अगस्त को दिए आदेशों की अनुपालना की गई है। उपमंडलाधिकारी वन कुल्लू ने अदालत में इस संबंध में अनुपालना रिपोर्ट दायर की है। उपमंडलाधिकारी ने कोर्ट में अतिक्रमण को हटाने से संबंधित जो भी कार्रवाई की है, उससे जुड़े सभी तथ्य अदालत के समक्ष रखे। इस मामले में राजस्व और वन विभाग को निर्देश दिए हैं कि आगे से इस तरह का अतिक्रमण न हो। अगर हलफनामा और अन्य दस्तावेज गलत पाए गए तो इसके लिए जिम्मेवार अधिकारियों पर कार्रवाई होगी।
वन भूमि को अतिक्रमण से बचाने को सरकार और अधिकारी सुनिश्चित करे कि इस तरह का अतिक्रमण दोबारा न हो। अगर सरकारी भूमि पर अतिक्रमण हो तो उस पर तत्काल कार्रवाई की जाए। अतिक्रमण हटाने में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को या तो उनकी सेवाओं निलंबित किया जाए या उनकी सेवाएं समाप्त की जाए। मुख्य सचिव को संबंधित दिशा-निर्देशों को लागू करने को कहा। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और बिपिन चंद्र नेगी की खंडपीठ ने इस संबंध में आदेश दिए।
ओल्ड ऐज होम की दयनीय हालत पर कोर्ट सख्त
शिमला। हिमाचल प्रदेश में चल रहे ओल्ड ऐज होम की दयनीय स्थिति पर प्रदेश हाईकोर्ट सख्त हुआ है। अदालत ने बिलासपुर में मानव सेवा ट्रस्ट जो ओल्ड ऐज होम चलाता है। उनके मामले में सरकार और केंद्र के सामाजिक और न्याय मंत्रालय की ओर से अनुदान नहीं दिए जाने पर कड़ा रुख अपनाया है। मानव सेवा ट्रस्ट मामले में अदालत ने वित्तीय अनुदान देने पर सरकार को केंद्र के सामाजिक और न्याय मंत्रालय के साथ मीटिंग करने के दिए निर्देश दिए हैं।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने सरकार और केंद्र के सामाजिक न्याय मंत्रालय को आपस में बैठक करने को कहा है। मानव सेवा ट्रस्ट 2020 से बिलासपुर में वृद्ध आश्रम अपने खर्चे से चला रहा है। उसे केंद्र की ओर से पैसा जारी नहीं किया गया है। हाईकोर्ट के 9 मई के आदेशों के बाद भी केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्रालय की ओर से कोई आर्थिक मदद नहीं दी गई है। मानव सेवा ट्रस्ट पर अभी तक करीब 60 लाख की देनदारी है। जो वृद्ध आश्रम की देखरेख में खर्च किए हैं। इस मामले की सुनवाई 30 अक्तूबर को होगी।