हिमाचल प्रदेश में वल्लभ कॉलेज मंडी की छात्रा और रिवालसर की कोठी गैहरी पंचायत निवासी करिश्मा ठाकुर सेना में लेफ्टिनेंट बनी हैं। 2017 में पिता लाल सिंह के निधन के बाद मां द्रुमति देवी ने मनरेगा में मजदूरी और गाय-भैंस का दूध बेचकर करिश्मा की पढ़ाई जारी रखी। अब बेटी मुकाम हासिल बुढ़ापे में मां का सहारा बन गई है। करिश्मा ने एनसीसी के जरिए अपना सपना साकार किया। दिसंबर में चेन्नई में ऑफिसर ट्रेनिंग अकादमी में प्रशिक्षण लेंगी।
मां से मांगा था एक साल का समय
करिश्मा ने 12वीं तक की पढ़ाई वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल कोठी गैहरी से की। चार बहनों में सबसे छोटी करिश्मा ने सेना की वर्दी पहनने का सपना बचपन से संजोया था। 12वीं के बाद करिश्मा ने वल्लभ कॉलेज मंडी में बीए में दाखिला लिया और एनसीसी ज्वाइन की। वह मंडी कॉलेज से एनसीसी के राष्ट्रीय शिविर में हिस्सा लेने वाली पहली छात्रा रहीं हैं। घर के हालात सही न होने के कारण करिश्मा ने लक्ष्य हासिल करने के लिए मां से एक साल का वक्त मांगा था।
सुबह सात बजे घर से निकलती थी और शाम को 7 बजे आना होता था
करिश्मा बताती हैं कि कॉलेज में पढ़ाई के दौरान पहले वह घर से सुबह 7 बजे निकल आती थी और शाम को सात बजे घर पहुंची थी। फिर मंडी में ही हॉस्टल में प्रवेश लेकर पढ़ाई करने ठानी।
मां बोलीं… बेटी ने मिटा दी उम्रभर की थकान
करिश्मा के चयन पर माता द्रुमति देवी ने कहा कि जब से खबर सुनी है खुशी से आंखों में आंसू भी आ रहे हैं। बेटी ने बुढ़ापे में उम्रभर की सारी थकान मिटा दी है। पति के देहांत के बाद चार बेटियों और एक बेटे की पढ़ाई और परवरिश मुश्किल थी, लेकिन कभी हिम्मत नहीं हारी। दूध बेचकर और मनरेगा में काम करके बच्चों को पढ़ाया। आज बेटी की कामयाबी से उनका सिर गर्व से ऊंचा हो गया है।