हिमाचल प्रदेश आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि उनके लिए स्थाई नीति बनाई जाए और हाल ही में बिजली बोर्ड से निकाले गए 81 आउटसोर्स चालकों की सेवाएं बहाल की जाएं। यहां जारी बयान में महासंघ की जिला सोलन इकाई के अध्यक्ष वीरेंद्र मोहन ने कहा कि कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए स्थाई नीति बनाने का आश्वासन दिया था, जबकि आज इसके विपरीत आउटसोर्स कर्मियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि बहुत से कर्मचारी दशकों से विभिन्न विभागों में कार्यरत हैं और इसी से उनके परिवार का पालन-पोषण हो रहा है। नौकरी से निकाले जाने से इन पर अब परिवार के पालन-पोषण का संकट छा गया है। उन्होंने मांग की कि इन सभी आउटसोर्स चालकों को अन्य विभागों में मर्ज करके इनकी नौकरी बहाल की जाए। वीरेंद्र मोहन ने कहा कि इससे पहले भी सरकार ने जल शक्ति विभाग व हिमाचल प्रदेश कौशल विकास निगम से कई आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त की हैं। महासंघ ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से विभिन्न विभागों से निकाले गए कर्मचारियों को अन्य विभागों में समायोजित करने सहित आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए जल्द से जल्द स्थाई नीति बनाने की मांग की है।