हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट से हिमाचल के 50 उद्योगों को बड़ी राहत मिल गई है। उद्योगों को प्रति यूनिट बिजली पर एक रुपये की सब्सिडी मिलती रहेगी। बिजली बोर्ड के सब्सिडी बंद करने को लेकर जारी आदेशों को हाईकोर्ट में उद्योगपतियों ने व्यक्तिगत तौर पर चुनौती दी थी। राज्य विद्युत विनियामक आयोग से सब्सिडी बंद करने की मंजूरी नहीं लेने का याचिका में हवाला दिया गया था। हाईकोर्ट ने अलग-अलग मामलों की सुनवाई करते हुए अभी तक करीब 50 उद्योगों को स्टे दे दिया है। अब वीरवार को सभी मामलों की एक साथ हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। प्रदेश में स्थित बड़े उद्योगों को प्रति यूनिट बिजली दरों में दी जाने वाली एक रुपये की सब्सिडी सरकार ने बंद करने का फैसला लिया है।
सरकार के फैसले को कई उद्योगपतियों ने हाईकोर्ट में चुऔती दी है। न्यायाधीश संदीप शर्मा की एकल पीठ ने 29 अक्तूबर को सरकार की ओर से बड़े उद्योगों को एक रुपये सब्सिडी न देने के फैसले पर रोक लगाई थी। अदालत में अभी तक करीब 50 उद्योगों के मामले में उसी तर्ज पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं। 12 अक्तूबर को उद्योगों को जारी हुए बिजली बिलों में एक रुपये की सब्सिडी समाप्त कर दी गई थी। बिल आने के बाद उद्योगों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। अब सभी मामलों पर एक साथ 14 नवंबर को सुनवाई होगी। उधर, मंगलवार को हुई मामले की सुनवाई के दौरान बिजली बोर्ड की ओर से जवाब दायर कर रोक हटाने का आग्रह किया गया। सरकार और विद्युत विनियामक आयोग ने अभी अपना पक्ष नहीं रखा है।
खनन रॉयल्टी पर सरकार का जीएसटी का अधिकार बरकरार
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने खनन रॉयल्टी पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने के राज्य के अधिकार को बरकरार रखा है। यह फैसला मैसर्स लखविंदर सिंह स्टोन क्रशर बनाम भारत संघ एवं अन्य के मामले में आया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की अगुवाई वाली पीठ ने खनिज रियायत धारकों द्वारा किए गए रॉयल्टी भुगतान पर जीएसटी लगाने को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है।
खनिज निष्कर्षण के लिए राज्य को रॉयल्टी भुगतान जीएसटी के अधीन है। यह निर्णय मिनरल एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी बनाम मेसर्स स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (2024) में सुप्रीम कोर्ट के हाल ही के फैसले पर आधारित है।
इसमें नौ न्यायाधीशों की पीठ ने स्पष्ट किया कि रॉयल्टी भुगतान कर नहीं हैं, बल्कि खनिजों को निकालने के अधिकारों के लिए पट्टेदार द्वारा पट्टाकर्ता को दिए गए संविदात्मक विचार हैं। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने जीएसटी ढांचे के तहत रॉयल्टी भुगतान को सेवाओं की आपूर्ति के हिस्से के रूप में चिह्नित करके इस फैसले की व्याख्या की। पीठ ने जोर दिया कि खनन पट्टों में संविदात्मक दायित्व के रूप में रॉयल्टी भुगतान, जीएसटी के सिद्धांतों के अनुरूप है, जो वस्तुओं और सेवाओं दोनों पर लागू होता है। यह निर्णय प्रभावी रूप से स्थापित करता है कि ऐसे भुगतान जीएसटी के अधीन हैं और खनिज निष्कर्षण अधिकार देने की सेवा से जुड़े हैं।
हाईकोर्ट ने दिए पर्यटन निगम की घाटे की संपत्तियों का लेखा-जोखा देने के दिए आदेश
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पर्यटन विकास निगम से घाटे में चल रही संपत्तियों का लेखा-जोखा देने के आदेश दिए हैं। मंगलवार को अदालत ने निगम के सेवानिवृत्त कर्मचारियों के सेवा लाभ भुगतान से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान यह आदेश जारी किए हैं। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने पर्यटन निगम को सेवानिवृत्ति के बाद ग्रेच्युटी, लीव एनकैशमेंट, कम्यूटेशन और अन्य वित्तीय लाभ न दिए जाने पर कड़ी फटकार लगाई है।