मुख्य संसदीय सचिव पर आए प्रदेश उच्च न्यायालय के फैसले के बाद प्रदेश के सबसे बड़े कांगड़ा जिले में राजनीतिक संतुलन बिगड़ सकता है। पालमपुर से विधायक आशीष बुटेल और बैजनाथ से किशोरी लाल को सीपीएस बनाकर मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने प्रदेश सरकार में राजनीतिक संतुलन बैठाने का प्रयास किया था। इससे पूर्व में वीरभद्र सिंह, प्रेम कुमार धूमल और जयराम ठाकुर की सरकार में कांगड़ा से तीन-तीन मंत्री बनाकर जिले को मंत्रिमंडल में पूरा अधिमान मिलता रहा है। मगर वर्तमान सुक्खू सरकार में पहले एक साल तक जवाली विस क्षेत्र से चौधरी चंद्र कुमार के रूप में महज एक मंत्री रहा।
सरकार के एक साल के कार्यकाल के बाद जयसिंहपुर विस क्षेत्र से यादवेंद्र गोमा के तौर पर दूसरा मंत्री कांगड़ा से मिला। हालांकि, नगरोटा बगवां से पहली मर्तबा विधायक बने रघुवीर सिंह बाली और फतेहपुर से दूसरी बार विधायक बने भवानी सिंह को सरकार ने कैबिनेट रैंक भी दिए, लेकिन अब सीपीएस पर आए कोर्ट के फैसले के बाद जहां कांगड़ा में राजनीतिक सन्नाटा छाया है तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के एक धड़े में चर्चाओं का बाजार गर्म है। अब देखना दिलचस्प रहेगा कि प्रदेश मंत्रिमंडल में जो एक पद खाली है, उसे कांगड़ा से भरा जाता है या नहीं। सीपीएस के पद समाप्त करने के बाद अब कांगड़ा से तीसरा मंत्री बनने की संभावनाएं बढ़ गई हैं। राजनीतिक गलियारों में इस पर चर्चा शुरू है।
कांगड़ा जिला में कुल 15 विधानसभा क्षेत्र हैं, लेकिन यहां से कांग्रेस के विधायकों की संख्या 10, जबकि भाजपा विधायकों की संख्या महज 5 है। बैजनाथ से किशोरी लाल, पालमपुर से आशीष बुटेल, जयसिंहपुर से यादवेंद्र गोमा, नगरोटा बगवां से रघुवीर बाली, ज्वालामुखी से संजय रतन, देहरा से कमलेश ठाकुर, फतेहपुर से भवानी सिंह, इंदौरा से मालेंद्र राजन, जवाली से चंद्र कुमार, शाहपुर से केवल सिंह पठानिया कांग्रेस पार्टी से विधायक हैं। जबकि धर्मशाला से सुधीर शर्मा, सुलह से विपिन परमार, जसवां परागपुर से बिक्रम ठाकुर, नूरपुर से रणवीर सिंह निक्का और कांगड़ा से पवन काजल भाजपा से विधायक हैं।