मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार मीडिया नरेश चौहान ने शिमला में प्रेसवार्ता को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि जयराम सरकार के समय पर्यटन निगम के होटलों को बेचने का प्रयास किया गया। इस पर इनक्वायरी बिठाने का सुझाव दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि ईडी की जांच से सरकार का कोई मतलब नहीं है। यह कारोबारियों से संबंधित है। जहां-जहां भी गैर भाजपा सरकारें हैं, वहां-वहां ईडी, आयकर विभाग को लगाना भाजपा का पुराना मॉडल है।
वीरवार को राज्य सचिवालय में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए नरेश चौहान ने कहा कि एक दिन में भाजपा के पांच-पांच लोग प्रेस वार्ता कर रहे हैं। इससे भाजपा में नेतृत्व की स्पर्धा सामने आ रही है। चौहान ने कहा कि राज्य में भाजपा बगैर मतलब के छोटी-छोटी बातों को राष्ट्रीय स्तर पर तूल दे रही है। नरेश चौहान ने कहा कि जिस प्रकार 64 करोड़ रुपये देने का मामला है और हिमाचल भवन को अटैच करने का मामला है, यह पहला नहीं है। पिछली सरकार में ऊना रेलवे स्टेशन मामले में भी अटैचमेंट के ऐसे ऑर्डर हुए थे। पॉवर पॉलिसी में ओपन बिडिंग से पॉवर आवंटन होता था। नरेश चौहान ने कहा कि 280 करोड़ रुपये की अपफ्रंट प्रीमियम की लड़ाई हमने जीती है। जयराम सरकार ने कभी इस बात पर ध्यान नहीं दिया। उन्हें इस बात का ध्यान देना चाहिए था।
कहा कि पर्यटन निगम का भी एक फैसला पिछले दिन आया है। सरकार 18 होटलों को बंद करने के फैसले पर गौर कर रही है। पर्यटन निगम के होटलों को आउटसोर्स करने के फैसले पर भी निर्णय लिया जाएगा। विपक्ष के नेता इस संबंध में गलत प्रचार कर रहे हैं। जयराम सरकार के समय में पर्यटन निगम के होटलों को बेचने का प्रस्ताव बनाया गया था। यह कांग्रेस ने मुद्दा बनाया था। उन्होंने कहा कि जयराम ठाकुर से यह सवाल होना चाहिए। एक व्यक्ति ने हमें भी बताया कि जयराम सरकार ने पार्टी फंड की एवज में पर्यटन निगम के होटलों को एक व्यक्ति को दिया जा रहा था।
दो साल में घाटे में नहीं गए पर्यटन निगम के होटल : चौहान
नरेश चौहान ने कहा कि पर्यटन निगम के होटल दो साल में घाटे पर नहीं गए हैं। इसके लिए पिछली जयराम सरकार भी जिम्मेदार है। इनका क्या करना है, इस पर एक कमेटी बनाई गई है। वह भी तय करेगी।