बनने जा रहे हैं। ये टाइगर महाराष्ट्र से लाए जाएंगे। इस पहल को भारत में चिड़ियाघरों के बीच चल रहे राष्ट्रीय पशु आदान-प्रदान कार्यक्रम के तहत पूरा किया जाएगा।
वन्य प्राणी विभाग ने इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) से मंजूरी ले ली है। वन विभाग के अधिकारियों की टीम पहले ही रेणुकाजी जू का दौरा कर चुकी है। उन्होंने बाड़े की संभावित डिजाइन और निर्माण प्रक्रिया की समीक्षा की। उम्मीद है कि महाराष्ट्र से बाघों को अगले वर्ष की शुरुआत में जू तक पहुंचा दिया जाएगा। इस कदम से न केवल पर्यटकों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है, बल्कि वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों को भी नया आयाम मिलेगा। यह योजना न केवल श्री रेणुकाजी जू के महत्व को बढ़ाएगी, बल्कि देश के चिड़ियाघरों के बीच सहयोग और समन्वय का भी बेहतरीन उदाहरण बनेगी।
4500 वर्ग मीटर में बनेगा अत्याधुनिक बाड़ा
इन बाघों के आगमन से पहले श्री रेणुकाजी जू में उनके लिए अत्याधुनिक बाड़े का निर्माण किया जा रहा है। यह बाड़ा 4500 वर्ग मीटर के क्षेत्र में बनाया जाएगा। इसकी लागत लगभग 1.20 करोड़ रुपये आंकी गई है।
टीम करेगी निरीक्षण
बाड़े के निर्माण के बाद सीजेडए की टीम जू का निरीक्षण करेगी और मानकों के आधार पर इसे अंतिम स्वीकृति देगी। जनवरी में निर्माण कार्य के लिए टेंडर जारी कर दिया गया था।