औषधीय पौधों की खेती में मनरेगा बनेगी मददगार, एक लाख रुपये तक का बजट मिलेगा

MNREGA will be helpful in the cultivation of medicinal plants, budget up to one lakh rupees will be available

महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के जरिये अब हिमाचल के किसान औषधीय पौधों की खेती कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें मनरेगा कार्यों में प्रस्ताव डलवाना होगा या खंड विकास अधिकारी कार्यालय में आवेदन करना होगा। कार्य के लिए एक लाख रुपये तक का बजट जारी होगा। इसमें 60 फीसदी लेबर, जबकि बजट का 40 फीसदी हिस्सा औषधीय पौधों और बीज पर खर्च होगा। कोरोना महामारी के बाद लोगों का रुझान औषधीय पौधों की ओर बढ़ा है। औषधीय पौधों तथा उनके बने उत्पादों की भी मांग बढ़ी है। इसके चलते कई लोग घरों में औषधीय पौधे उगा रहे हैं।

वहीं अब इन औषधीय पौधों से किसानों की आर्थिकी मजबूत करने में मनरेगा भी अपनी अहम भूमिका निभाएगी। मनरेगा के तहत सूबे के किसान औषधीय पौधों की खेती करने के लिए संबंधित पंचायत या संबंधित खंड विकास अधिकारी के पास आवेदन कर सकेंगे। इसके तहत उन्हें एक लाख रुपये का बजट जारी किया जाएगा, जिसमें 60 फीसदी लेबर और 40 फीसदी औषधीय पौधे और उनके बीज खरीदने पर खर्च होंगे। औषधीय पौधों की खेती के लिए जिला कांगड़ा के विकास खंड धर्मशाला से शुरुआत हो चुकी है। इसके तहत विकास खंड धर्मशाला के तहत आती कई पंचायतों की महिलाएं इन औषधीय पौधों की खेती कर रही हैं। 

किसानों के परिवार को मिलेगा रोजगार
मनरेगा के तहत होने वाली इस औषधीय पौधों की खेती के दौरान ही किसानों को रोजगार मिलना शुरू हो जाएगा। इस दौरान संबंधित किसान और उसके परिवार को जॉब कार्ड के जरिए अपने ही खेत में औषधीय पौधे लगाने की एवज में मनरेगा के तहत दिहाड़ी भी दी जाएगी। इससे जहां उसके पास भविष्य के लिए औषधीय पौधों से भरा खेत तैयार होगा, वहीं खेती के दौरान ही रोजगार भी मिलेगा। मनरेगा के तहत किसान कैमोमाइल, काली तुलसी, ब्रह्मी, मुलेठी, एलोवीरा, अश्वगंधा आदि औषधीय पौधों की खेती कर सकेंगे। 

मनरेगा के तहत किसान औषधीय पौधे रोप सकेंगे। इसके लिए उन्हें एक लाख रुपये तक का बजट जारी होगा। औषधीय पौधों की खेती करने के इच्छुक किसान संबंधित ग्राम पंचायतों में प्रस्ताव डलवा सकते हैं। इसके अलावा खंड विकास अधिकारी कार्यालय में आकर भी औषधीय पौधों की खेती करने बारे आवेदन कर सकते हैं। इसमें 60 फीसदी लेबर और 40 फीसदी औषधीय पौधों और बीज के ऊपर खर्च किया जाएगा। 

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