हिमाचल सरकार के विधि विभाग ने प्रदेश में कार्यरत सभी नोटरी पब्लिक को विवाह और तलाक के कार्य निष्पादित नहीं करने के आदेश दिए हैं। विधि विभाग के अतिरिक्त सचिव की ओर से जारी आदेश के मुताबिक ऐसा कदम केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय के भेजे ज्ञापन के बाद उठाया गया है। आदेश में बताया गया है कि केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय ने सभी नोटरी को विवाह एवं तलाक के कार्य निष्पादित करने से दूर रहने को कहा है, क्योंकि उन्हें विवाह अधिकारी के रूप में नियुक्त नहीं किया गया। हिमाचल में लगभग चार हजार नोटरी पब्लिक कार्यरत हैं। विधि मामलों के विभाग से जारी कार्यालय ज्ञापन में नोटरी को आगाह किया गया कि विवाह एवं तलाक के कार्य निष्पादित करना कानून के विरुद्ध है
उल्लंघन पर ये कार्रवाई होगी
किसी भी नोटरी की ओर से इस संबंध में नोटरी अधिनियम, 1952 या नोटरी नियम, 1956 का कोई भी उल्लंघन या चूक कदाचार के समान होगी। ऐसे में नोटरी के विरुद्ध नोटरी अधिनियम, 1952 और नोटरी नियम, 1956 में निहित प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। नोटरी अधिनियम, 1952 की धारा 8 और नोटरी नियम के नियम 11 के उपनियम (8) के अनुसार विवाह या तलाक के हलफनामे का निष्पादन नोटरी का कार्य नहीं है। केंद्र ने कहा कि ऐसे मामले देखे हैं, जहां नोटरी विवाह, तलाक आदि से संबंधित दस्तावेजों को निष्पादित कर रहे हैं।
उधर, गोहर में कार्यरत नोटरी पब्लिक अधिवक्ता यादवेंद्र ठाकुर ने बताया कि विधि विभाग की ओर से जारी आदेशों का अवलोकन किया जा रहा है। नोटरी पब्लिक सिर्फ शपथपत्र का सत्यापन करते हैं। शादी का पंजीकरण नहीं करते हैं। केंद्रीय विधि मंत्रालय ने ओडिशा हाईकोर्ट के पार्थ सारथी दास बनाम ओडिशा राज्य एवं अन्य, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एक फैसले का उल्लेख किया है, जिसमें कहा गया कि नोटरी विवाह अधिकारी नहीं हैं।