मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में दो साल के कांग्रेस सरकार के कार्यकाल ने 40 साल पुरानी व्यवस्था को बदला है। अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया गया है। आम और खास आदमी के अंतर को खत्म करने के लिए कई कदम उठाए हैं। सीएम ने कहा कि आगामी वर्षों में वह चाहते हैं कि हिमाचल के सभी लोगों को यहां की संपदा में अपने अधिकार मिलें। राज्य की 70 फीसदी संपदा कुछ लोगों के ही हाथ में है। गरीब और गरीब व अमीर और अमीर हो रहा है। अगला लक्ष्य यही है कि इस संपदा का समुचित बंटवारा कर इसे आम आदमी तक पहुंचाया जाए, वह इस दिशा में काम कर रहे हैं।
बिगड़ी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की जिम्मेवारी ली
हिमाचल में कांग्रेस सरकार की दूसरी वर्षगांठ पर अमर उजाला से विशेष बातचीत में मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि उनके कार्यकाल के यह दो वर्ष व्यवस्था परिवर्तन के रहे हैं। वर्तमान सरकार ने बिगड़ी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की जिम्मेवारी ली है। नियमों में बदलाव कर इसे पटरी पर लाया गया है, जो अब तेजी से दौड़ रही है। सरकार ने दो वर्षों में कई नीतिगत निर्णय लिए हैं। हालांकि प्रचार-प्रसार की कमी जरूर रही। पुरानी पेंशन स्कीम को लागू किया। जिनके माता-पिता नहीं थे, ऐसे बच्चों को चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट का दर्जा दिया।
कमजोर वर्गों के कल्याण पर विशेष ध्यान दिया
विधवा, एकल नारियों व उनके बच्चों और समाज के कमजोर वर्गों के कल्याण पर विशेष ध्यान दिया। तमाम उन वर्गों के लिए काम किया, जिनकी अपनी आवाज नहीं है। कर्मचारी तो हड़ताल कर लेते हैं, लेकिन ऐसे वर्ग अपनी आवाज नहीं उठा पाते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह समझते हैं कि जो इस वर्ग के बारे में सोचे, वही अच्छा शासक है। सरकार ने दो वर्षों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के कदम उठाए हैं। स्वास्थ्य क्षेत्र पिछड़ गया है, अब इसमें बदलाव लाना है। लोक निर्माण विभाग में टेंडर 60 दिन में लगते थे, जो अब 20 दिन में लग रहे हैं। विभागों के कामकाज में पारदर्शिता लाई गई है।
डबल इंजन की सरकार ने खजाना खाली किया, हमने कई चुनौतियों का सामना किया
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि जिस प्रदेश का खजाना खाली था और जिसमें डबल इंजन की सरकार चली, वहां पहली आर्थिक चुनौती थी, जिससे हमने लड़ाई लड़ी। प्राकृतिक आपदा के रूप में दूसरी चुनौती आई। इसमें हमारे 551 लोगों ने अपनी जान गंवाई। 23,000 कच्चे-पक्के मकान उजड़ गए। उन परिवारों को बसाने का जिम्मा लिया। केंद्र ने हमारी मदद नहीं की। हमने 4,500 करोड़ रुपये का पैकेज अपने बूते पर दिया। रिलीफ मैनुअल को बदला और मकान बनाने के लिए 1.50 लाख के बजाय 7 लाख रुपये दिए। आंशिक रूप से घर टूटने पर भी एक लाख रुपये की मदद दी। तीसरी राजनीतिक चुनौती आई। मध्य प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र की तर्ज पर भाजपा ने ऑपरेशन लोटस चलाया, मगर देवी-देवताओं, भगवान और हिमाचल प्रदेश की जनता के आशीर्वाद व सहयोग से इस चुनौती से भी पार पा लिया।