भाजपा में खेमेबाजी में फंसा प्रदेश अध्यक्ष पद, दिल्ली चुनाव के बाद होगा फैसला; ये नेता दौड़ में

Himachal BJP president post stuck in factionalism in BJP decision will be taken after Delhi elections

भाजपा के अलग-अलग खेमों की खींचतान और केंद्रीय नेताओं की दिल्ली चुनाव में व्यस्तता के कारण पार्टी प्रदेशाध्यक्ष के पद पर फैसला फंस गया है। अब दिल्ली चुनाव के बाद ही भाजपा इस पर निर्णय ले सकती है। दिल्ली में पांच फरवरी को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान है। उसके बाद हिमाचल के प्रदेशाध्यक्ष पद पर कभी भी निर्णय हो सकता है।

केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह को भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के चुनाव के लिए प्रभारी लगाया गया है। केंद्रीय मंत्रियों और नेताओं की भी दिल्ली चुनाव में व्यस्तता है तो स्वाभाविक रूप से वह भी वहां पर प्रचार को वक्त दे रहे हैं। वह केवल एक दिन ही हिमाचल आ पाए हैं। उसमें भी वह भाजपा प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए हिमाचल के नेताओं और कार्यकर्ताओं से अभी ठीक से फीडबैक नहीं ले पाए हैं। हिमाचल मूल के भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगतप्रकाश नड्डा तो दिल्ली में व्यस्त चल ही रहे हैं। हिमाचल में पार्टी प्रदेशाध्यक्ष की नियुक्ति में नड्डा का विशेष हस्तक्षेप भी रहेगा ही। ऐसे में दिल्ली चुनाव के बाद केंद्रीय नेता भी इसके लिए वक्त दे पाएंगे।

ये नेता माने जा रहे दौड़ में या केंद्रीय नेतृत्व के विचाराधीन
वर्तमान भाजपा प्रदेशाध्यक्ष, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव बिंदल को दोबारा कमान मिलने की उम्मीद है। पूर्व राज्य विधानसभा अध्यक्ष व पूर्व मंत्री विपिन सिंह परमार भी सबसे बड़े जिला कांगड़ा से बड़े भाजपा नेता हैं तो वह भी इस पद को चाह रहे हैं। पूर्व भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती भी अपने लिए जोर लगा रहे हैं। इनके अलावा बिक्रम सिंह, त्रिलोक जम्वाल आदि नेता भी रेस में माने जा रहे हैं।

जातीय संतुलन की आस से ब्राह्मण नेताओं में लोकसभा सांसद राजीव भारद्वाज और राज्यसभा सांसद इंदु गोस्वामी भी अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार हैं। आधी आबादी को हाईकमान ने लक्षित किया तो महिला प्रदेशाध्यक्ष के रूप में इंदु गोस्वामी को भी यह पद मिल सकता है। राज्यसभा सांसद एवं पूर्व कुलपति डॉ. सिकंदर कुमार का नाम भी भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के विचाराधीन है। चर्चा तो यहां तक भी है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर पर भी केंद्रीय नेतृत्व वर्ष 2027 के विधानसभा चुनाव को लक्षित कर भरोसा जता सकता है। इससे भाजपा के अलग-अलग गुटों को भी साधा जा सकता है, क्योंकि वर्तमान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर हैं तो धूमल-अनुराग खेमे को भी तवज्जो मिलने से कार्यकर्ताओं का एक बड़ा वर्ग संतुष्ट किया जा सकता है।

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