हिमाचल में तीन साल में बढ़े कुष्ठ रोगी, 377 नए मामले; इस जिले में सबसे ज्यादा रोगी

हिमाचल प्रदेश में कुष्ठ रोग साल 2000 के बाद से सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या नहीं रही है। फिर भी बीमारी को लेकर सतर्कता बरतने की जरूरत है। राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम में जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले तीन साल में इस बीमारी में इजाफा हुआ है। सोलन में सबसे अधिक 101 कुष्ठ रोगी सामने आए है। कांगड़ा दूसरे स्थान पर है। यहां पर भी तीन साल में 26, 18 और 12 नए रोगी सामने आए है।

कुष्ठ रोग एक संक्रामक बीमारी है। यह माइकोबैक्टीरियम लेप्रे नामक बैक्टीरिया के कारण होती है। यह मुख्य रूप से त्वचा, नसों, आंखों और श्वसन तंत्र को प्रभावित करती है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक बाहरी राज्यों से काम के सिलसिले में आए श्रमिकों में यह बीमारी देखने को मिली है। जिनकी आयु 20 से लेकर 80 साल के बीच की है। चिकित्सकों का कहना है कि इलाज न मिलने पर यह स्थायी विकलांगता का कारण भी बन सकती है। 

पुरुषों में बीमारी अधिक
कुष्ठ रोग एक संक्रामक बीमारी है जो माइकोबैक्टीरियम लेप्रे नामक बैक्टीरिया के कारण होती है। महिलाओं की तुलना में पुरुषों में यह अधिक होती है। जबकि कई लोग मानते है कि यह श्राप की वजह से हुई है। ऐसे में इस तरह के मिथकों को नजरअंदाज करना चाहिए। अगर किसी सफेद हल्के रंग के धब्बे, हाथ और पैर में कमजोरी आए तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में उपचार करवाना चाहिए- डॉ. अमित चौहान, जिला लेप्रोसी ऑफिसर (चर्मरोग और कुष्ठ रोग विशेषज्ञ)।

जांच और उपचार
कुष्ठ रोग के उपचार के दौरान मल्टी-ड्रग थैरेपी (एमडीटी) का इस्तेमाल किया जाता है, जो कुष्ठ रोग को पूरी तरह ठीक कर सकता है। गंभीर मामलों के लिए 12 महीने तक इलाज की आवश्यकता होती है। जबकि सामान्य मामलों के लिए 6 महीने का उपचार पर्याप्त होता है।

जिला  मामले 2022-23
बिलासपुर8
चंबा14
हमीरपुर 9
कांगड़ा 26
किन्नौर 1
कुल्लू8
लाहौल-स्पीति0
मंडी22
शिमला14
सिरमौर7
सोलन41
ऊना1
कुल 151

जिला मामले 2023-24
बिलासपुर  8
चंबा11
हमीरपुर13
कांगड़ा18
किन्नौर4
कुल्लू2
लाहौल-स्पीति 0
मंडी3
शिमला  20
सिरमौर13
सोलन 29
ऊना 11
कुल  132
जिला नए मामले 2024- 25 (दिसंबर तक 24)
बिलासपुर2
चंबा8
हमीरपुर 8
कांगड़ा12
किन्नौर4
कुल्लू  4
लाहौल-स्पीति0
मंडी3
शिमला8
सिरमौर 6
सोलन 31
ऊना8
कुल  94

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