
पूर्व अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी और अर्जुन अवॉर्ड विजेता खिलाड़ी अशोक ध्यान चंद ने कहा कि देश के राष्ट्रीय खेल हॉकी पर एस्ट्रोटर्फ यानी आर्टिफिशियल ग्राउंड हावी हो गया है। इससे खेल में युवाओं का क्रेज कम हो रहा है। अब यह कलाई नहीं बल्कि पावर गेम बन गया है। खेल में कलाई का इस्तेमाल कम हो गया है और पावर का इस्तेमाल को बढ़ा दिया है। कुछ ही देर में खिलाड़ी हांफ जाते हैं, साथ ही एस्ट्रो टर्फ मैदान के कारण हॉकी खेल विपरित दिशा में जा रहा है। आठ करोड़ से बनने वाले इस ग्राउंड को तैयार करने में सरकारें भी असमर्थ दिखाई दी हैं। मैदान तैयार न होने से प्रतियोगिताएं भी काफी पीछे छूट गई है। अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय और ओलंपियाड में इस खेल को एस्ट्रो टर्फ मैदान में ही खेला जाता है।
स्कूल, कॉलेजों में इस प्रकार का मैदान तैयार न होने से युवा अब आगे ही नहीं आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि आठ करोड़ रुपये की लागत से तैयार होने वाले इस ग्राउंड में हॉकी स्टिक भी छह हजार रुपये में आती है। 1976 के बाद इंटरनेशनल कमेटी ने कृत्रिम घास का मैदान तैयार करवाने का निर्णय लिया। इसमें यूरोपियन, ऑस्ट्रेलिया समेत अन्य देशों ने इस निर्णय के बाद एस्ट्रो टर्फ का मैदान तैयार कर दिया, लेकिन भारत की सरकारें मैदान बनाने के लिए पैसा ही नहीं खर्च पाईं। ग्राउंड की कमी के कारण अब बच्चे ही हॉकी के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं। क्रिकेट का क्रेज युवाओं के सिर पर शुमार हो गया है। अशोक ध्यान चंद ने कहा कि हॉकी में सोलन की महिलाएं प्रेरणा स्रोत बनीं है। ये महिलाएं हॉकी में आगे आई हैं।
हरियाण सरकार दे रही नौकरियां : रिंकू
हरियाणा सरकार खेल गतिविधियों को प्रोत्साहित करने में आगे है। इसी के साथ केंद्र सरकार भी देश का नाम रोशन करने वालों के लिए अलग से मंच प्रदान कर रही है। हरियाणा सरकार में सोशल जस्टिस उपाध्यक्ष रिंकू सैनी ने कहा कि सरकारों को चाहिए कि वे बड़े स्तर पर खेलने वाले खिलाड़ियों को सम्मान देें। ओलंपियन खिलाड़ियों को नौकरी पर रखते हैं। हरियाणा में खिलाड़ियों के लिए पॉलिसी तक तैयार कर दी है।