
बीबीएन में 30 फीसदी ऐसे उद्योग हैं, जिन्होंने एनओसी नहीं ली है। एनओसी केवल दो साल की होती है।
फायर एनओसी लेना उद्योगों के लिए सरकार ने अनिवार्य नहीं किया है। बीबीएन में 30 फीसदी ऐसे उद्योग हैं, जिन्होंने एनओसी नहीं ली है। एनओसी केवल दो साल की होती है। अगर दोबारा एनओसी लेनी होती है तो उसके रखरखाव और रिपेयर पर लाखों रुपये खर्च होते हैं। इसके चलते कई उद्योगपति फायर एनओसी नहीं लेते। हैरानी की बात है कि अगर कोई उद्योग एनओसी नहीं भी लेता है तो उसके खिलाफ अग्निशमन विभाग को कोई भी कार्रवाई का अधिकार नहीं है। केवल उन्हें सूचित करता है और यही कारण है कि बीबीएन में उद्योग एनओसी लेने के लिए जल्दबाजी नहीं करते हैं।
बीबीएन में 1700 उद्योग अग्निशमन विभाग में पंजीकृत हैं। बद्दी में 1200 और नालागढ़ में 522 उद्योग पंजीकृत हैं। इनमें से महज 30 फीसदी उद्योगों ने एनओसी नहीं ली है। यह उद्योग बिना फायर की एनओसी के चल रहे हैं। दमकल विभाग इन उद्योगों को एनओसी के लिए सूचित कर सकता है। अगर वह नहीं भी लेते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई करने का कोई अधिकार नहीं है। दमकल विभाग की ओर से इन उद्योगों पर दबाव नहीं बना सकता है। उद्योगपति सिर्फ बैंक से लोन के लिए एनओसी लेते हैं। बद्दी के फायर आफिसर जोगिंद्र सिंह ने कहा कि 30 फीसदी उद्योग ऐसे हैं जिन्होंने एनओसी नहीं ली है। उन्हें पत्र जारी करके एनओसी लेने को कहा गया है।
एनओसी के लिए ये जरूरी
दमकल विभाग की अनुसार पांच सौ वर्ग मीटर में फैले उद्योग में 25 हजार लीटर का पानी का टैंक, सीओटू, फोम और होज रील होना जरूरी है। बड़े उद्योगों के लिए डेढ़ से दो लाख लीटर पानी का प्रबंध, पंप हाउस, स्प्रिंकल सिस्टम, हाईड्रेंट लाइन भवन के चारों ओर और हर भवन में स्मोक डिटेक्टर का जरूरी है।
एनओसी रिन्यू करना हो जरूरी
भारतीय मजदूर संघ के उद्योग प्रभारी मेला राम चंदेल, एटक के जिला अध्यक्ष सतीश शर्मा, इंटक के श्याम लाल ठाकुर, सीटू के प्रदेश पदेश अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने बताया कि सरकार को सभी उद्योगों को फायर की हर दो साल के बाद एनओसी लेना जरूरी किया जाए। तभी कामगार सुरक्षित रह पाएंगे। बीबीएन में 30 फीसदी उद्योग बिना एनओसी के ही चल रहे हैं। सभी कंपनियां फायर को लेकर समय-समय पर कामगारों को प्रशिक्षण दिलवाए।