तीन उच्च संस्थानों के वैज्ञानिकों की 18 सदस्यीय टीम ने मौके का दौरा कर बांध स्थल समेत सुरंग साइट की जमीन जांची।
हिमाचल समेत चार राज्यों के लिए महत्वपूर्ण रेणुकाजी बांध परियोजना के निर्माण की उम्मीदें परवान चढ़ने लगी हैं। गुरुवार को तीन उच्च संस्थानों के वैज्ञानिकों की 18 सदस्यीय टीम ने मौके का दौरा कर बांध स्थल समेत सुरंग साइट की जमीन जांची। वैज्ञानिकों ने सुरंगों समेत डैम साइट से लिए मिट्टी के करीब 100 सैंपलों की जांच की। जांच में बांध और सुरंग निर्माण के लिए जमीन सही पाई गई है।
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई), केंद्रीय जल आयोग और हिमाचल प्रदेश पावर कारपोरेशन की टीम जमीन की रिपोर्ट जल्द केंद्र को सौंपेगी, जिससे कि इसके निर्माण के लिए जल्द पूरा बजट मिले। रेणुकाजी बांध परियोजना की लागत करीब 7,000 करोड़ रुपये आंकी गई है। अभी तक केंद्र से करीब 1900 करोड़ रुपये हिमाचल प्रदेश पावर कारपोरेशन (एचपीपीसीएल) को जारी हो चुके हैं। रेणुकाजी बांध परियोजना से हिमाचल को 40 मेगावाट बिजली मिलेगी।
जबकि दिल्ली, उत्तराखंड, हरियाणा और राजस्थान को पानी मिलेगा। सिरमौर जिले की गिरि नदी पर ददाहू के समीप परियोजना का निर्माण होना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 दिसंबर 2021 को शिलान्यास किया था। परियोजना निर्माण को लेकर औपचारिकताएं लगभग पूरी कर ली गई हैं। पर्यावरण की अंतिम मंजूरी मिलना बाकी है। वैज्ञानिकों की टीम के अध्यक्ष व जीएसआई के डीडीजी डॉ. वीके शर्मा ने बताया कि बांध का निर्माण आधुनिक तरीके और तकनीक से किया जाएगा। बांध निर्माण से जुड़ी तकनीकी खामियों और भूगर्भीय चुनौतियों से निपटने के लिए वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया जा रहा है।
बताया कि टीम ने बांध और साथ ही बनने वाली डेढ़-डेढ़ किमी की तीन सुरंगों की जमीन की बारीकी से जांच की है। जमीन ठीक पाई गई है। लिहाजा, उम्मीद की जा सकती है कि सुरंगों और बांध निर्माण में किसी तरह की दिक्कतें नहीं आएंगी। टीम में निदेशक जीएसआई विनोद कुमार, डॉ. रंजन कुमार, अनीत राणा, वरिष्ठ भू-वैज्ञानिक जगन प्रताप सिंह, सीडब्ल्यूसी के पूर्व अध्यक्ष रंजन कुमार सिन्हा, निदेशक सुमेश कुमार, उप निदेशक रणधीर कुमार, राजीव कुमार, आमिर सुहैल, विवेक कुमार, डीजीएम (डिजाइन) अरुण कपूर, शिवा बारवाल, ललित मोहन, परियोजना के जीएम आरके चौधरी, डीजीएम संजीव कुमार आदि शामिल रहे।