# बागियों के भविष्य ने अटकाए कांगड़ा, मंडी लोकसभा सीटों के टिकट, जानें क्या कहते हैं विश्लेषक|

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भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की नजरें अयोग्य घोषित कांग्रेस के छह विधायकों के भविष्य पर गड़ी हैं। 

कांगड़ा और मंडी लोकसभा सीटों पर भाजपा के टिकट कांग्रेस विधायकों की बगावत के बाद बने नए सियासी समीकरणों के चलते अटक गए हैं। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की नजरें अयोग्य घोषित कांग्रेस के छह विधायकों के भविष्य पर गड़ी हैं। ऐसे में 18 मार्च के बाद ही भाजपा दोनों संसदीय क्षेत्रों के प्रत्याशी घोषित कर सकती है। वहीं, भाजपा के दो टिकट तय होते ही शिमला और हमीरपुर लोकसभा सीटों पर कांग्रेस ने भी उम्मीदवारों का मंथन शुरू कर दिया है।

अंदरूनी फूट से जूझती कांग्रेस के पास मंडी में सिटिंग सांसद प्रतिभा सिंह के रूप में बड़ा चेहरा अभी है तो हमीरपुर में अनुराग ठाकुर के कद के प्रत्याशी को ढूंढने की उलझन है। भाजपा की आंतरिक रिपोर्टों के मुताबिक, मंडी में कांग्रेस का मुकाबला करने के लिए नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को सबसे मजबूत प्रत्याशी आंका जा चुका है, मगर राज्य में जारी मौजूदा राजनीतिक धींगामुश्ती के बीच उन्हें लोकसभा भेजना समझदारी नहीं माना जा रहा है। 

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, अब केंद्रीय नेतृत्व जयराम को प्रादेशिक राजनीति में सक्रिय रखने के पक्ष में है। हालांकि, इस पर अंतिम फैसला 18 मार्च के बाद होना है। उस दिन कांग्रेस के छह बागियों की विधानसभा सदस्यता रद्द करने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। उसके पश्चात इन छहों के भविष्य पर जल्दी स्थिति साफ नहीं होने पर भाजपा टिकट घोषित करने में शायद ही देरी करे। वर्तमान में भाजपा भविष्य की एक आस से भी अपने किसी विधायक को टिकट देकर विधानसभा में सदस्य कम नहीं होने देने की रणनीति बना चुकी है। 

इसलिए मंडी से टिकट के लिए जातीय और क्षेत्रीय संतुलन साधते हुए सुंदरनगर के अजय राणा का नाम विचाराधीन है। राणा के अलावा मौजूदा सांसद प्रतिभा सिंह को एक लोकसभा चुनाव में हरा चुके महेश्वर सिंह भी भाजपा का एक विकल्प हैं, पिछले प्रत्याशी ब्रिगेडियर खुशाल चंद भी।  बिहारी लाल शर्मा का नाम भी चर्चा में है। यहां से अभिनेत्री कंगना रणौत के चुनाव लड़ने की अभी तक केवल अटकलें ही साबित हुई हैं। कांगड़ा में सिटिंग भाजपा सांसद किशन कपूर का टिकट इसलिए कट सकता है, क्योंकि अंदरूनी सर्वेक्षण उनके पक्ष में ज्यादा नहीं हैं।

इसका कारण कपूर की स्वास्थ्य और अन्य कारणों से कांगड़ा में वांछित सक्रियता का न रह पाना भी है। यहां से भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व कांग्रेस के बागी अयोग्य घोषित विधायक और पूर्व मंंत्री सुधीर शर्मा को भी एक वैकल्पिक चेहरा मान रहा है, पर सुधीर की भाजपा नेताओं से इस पर किसी प्रकार की संधि के पत्ते अभी खुले नहीं हैं। अन्य भाजपा नेताओं में कांगड़ा से टिकट के लिए राजीव भारद्वाज, त्रिलोक कपूर जैसे नेताओं की उम्मीदवारी पर भी पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व मंथन कर रहा है।

दूसरी सूची कर रही किशन कपूर का टिकट कटने की ओर इशारा
कांगड़ा-चंबा संसदीय क्षेत्र से भाजपा सांसद किशन कपूर का टिकट इस बार कट सकता है। बुधवार रात भाजपा प्रत्याशियों की जारी दूसरी सूची इसी ओर इशारा करती दिख रही है। सांसद अनुराग-सुरेश पर फिर से भरोसा और कांगड़ा को होल्ड पर डाल देने से हाईकमान के फैसले के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। हाईकमान इस बार कांगड़ा सीट से प्रत्याशी का चेहरा बदलने की तैयारी में है। इसे लेकर लंबे समय से चर्चाओं व कयासों का दौर चला आ रहा है। भाजपा की दूसरी सूची जारी होने पर इन चर्चाओं को और बल मिला है। 

कपूर के स्टैंड पर सबकी निगाहें
 आम चुनाव में टिकटों को लेकर भाजपा हाईकमान के चौंकाने वाले रुख को देखते हुए सांसद किशन कपूर के स्टैंड पर सबकी निगाहें हैं। सियासी गलियारों में चर्चा है कि टिकट कटने की आशंकाओं के बीच क्या सांसद किशन कपूर टिकट की दावेदारी से खुद को अलग करने की पहल करेंगे। देश में भाजपा के कई नेता ऐसा कर चुके हैं। हालांकि, सांसद किशन कपूर की चुप्पी को उम्मीदों से जोड़कर देखा जा रहा है। 

कल त्रिदेव सम्मेलन से निपटकर अब नई मोर्चेबंदी में होगी भाजपा
लोकसभा चुनाव की तैयारियों के चलते पिछले कुछ दिनों से भाजपा हर मंडल में त्रिदेव सम्मेलन करवा रही है। यह सम्मेलन सभी 74 मंडलों में शनिवार को पूरे होने जा रहे हैं। इनसे निपटकर भाजपा अब नई चुनावी मोर्चेबंदी में जुट जाएगी। भाजपा के सभी सातों मोर्चों के पदाधिकारियों की ड्यूटी डोर-टू-डोर प्रचार सामग्री बांटने में लगा दी गई है। टिकट तय होने के बाद शिमला और हमीरपुर में इनकी विशेष सक्रियता नजर आएगी। 

हाटी मुद्दे और क्रॉस वोटिंग से कश्यप के पक्ष में बने समीकरण
 हाटियों को जनजातीय दर्जा मिलने और नए राजनीतिक समीकरण बनने से ही शिमला से भाजपा के सिटिंग सांसद सुरेश कश्यप की उम्मीदवारी पक्की हुई। भाजपा के ताजा आंतरिक सर्वेक्षण भी सुरेश कश्यप के पक्ष में रहे। सियासी गहमागहमी के बीच राज्य में बने नए राजनीतिक समीकरण ने भी कश्यप की उम्मीदवारी और पक्की कर दी।  राज्यसभा सदस्य के चुनाव में क्रॉस वोटिंग के बाद बने नए हालात से पच्छाद की भाजपा विधायक रीना कश्यप को टिकट देने पर अंतिम सहमति नहीं बनी। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को पार्टी की प्रदेश चुनाव समिति ने जो नाम भेजे थे, उनमें सिटिंग सांसद का नाम अकेला नहीं था। हिमाचल की चार सीटों में से केवल केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का ही हमीरपुर से इकलौता नाम था। इस पैनल में सुरेश कश्यप के साथ पच्छाद की विधायक रीना कश्यप और पूर्व सांसद वीरेंद्र कश्यप के नाम भी थे।

पिछले चुनाव में भाजपा ने सिटिंग सांसद वीरेंद्र कश्यप का टिकट काटकर पच्छाद के ही सिटिंग विधायक सुरेश कश्यप को दिया था तो इस बार भी यही माना जा रहा था कि रीना कश्यप भी उसी तरह से प्रत्याशी बनेंगी। महिला फैक्टर और अन्य समीकरणों का आकलन करते हुए सुरेश कश्यप का टिकट कटने की अटकलें लगती रहीं, मगर राज्यसभा में क्रॉस वोटिंग से कांग्रेस विधायकों के बागी होने पर भाजपा ने अपनी रणनीति बदल ली। रीना कश्यप को लोकसभा भेजने की सूरत में यहां भी भाजपा विधानसभा में संख्या बल कम होना था। वहीं, हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा दिलाने की लड़ाई का सेहरा भी भाजपा कश्यप को बंधवाना चाहती है। सिरमौर जिला के चार विधानसभा हलके शिलाई, रेणुका, पच्छाद और पांवटा में भाजपा इस फैक्टर को भुनाएगी।  

पंचायत सदस्य से सीएम और फिर सांसद बने शांता कुमार 

  • हिमाचल में भाजपा को सत्ता के शीर्ष तक ले जाने वाले शांता कुमार 1977 में पहली बार प्रदेश में गैर कांग्रेसी सीएम बने थे।
  • नो वर्क नो पे, बिजली परियोजनाओं के लिए इस्तेमाल हो रहे पानी से रॉयल्टी से उन्होंने नई पहचान मिली। 
  • 1963-65 में पंच बनने के बाद शांता राजनीति में आए। 1965-70 में पंचायत समिति भवारना के अध्यक्ष रहे।
  • 1977-80 और 1990-92 में मुख्यमंत्री बने। 1989,1998,1999 और 2014 में सांसद चुने गए। दो बार केंद्र में मंत्री भी रहे।
  • 90 बसंत देख चुके शांता कुमार ने अब सक्रिय राजनीति से दूरी बना ली है। 

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