साल 1998 से भाजपा का हमीरपुर संसदीय सीट पर भाजपा का कब्जा है। इससे पूर्व तीन दफा उनके पिता पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल इस सीट से सांसद रहे चुके है।
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर भाजपा के टिकट पर 49 वर्ष की उम्र में पांचवां लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। हाईकमान ने लगातार पांचवीं बार उन पर भरोसा जताया है। साल 1998 से भाजपा का हमीरपुर संसदीय सीट पर भाजपा का कब्जा है। इससे पूर्व तीन दफा उनके पिता पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल इस सीट से सांसद रहे चुके है। हमीरपुर सीट राजपूत बहुल है। इस सीट पर कांग्रेस ओबीसी नेता नारायण चंद पराशर को छोड़ दें अभी तक राजपूत नेता ही सांसद रहे हैं। 14 लाख वोटर वाले इस क्षेत्र में सवा पांच लाख वोटर राजपूत जबकि तीन लाख के करीब ब्राह्वमण वोटर हैं। एससी वोटर तीन लाख से अधिक है जबकि ओबीसी वोटर भी सवा दो लाख के करीब है।
अभी तक भाजपा टिकट पर यहां पर राजपूत नेताओं ने चुनाव लड़े हैं। एक बार फिर जातीय समीकरण को साधने का प्रयास भाजपा ने किया है। अनुराग ठाकुर को पांचवीं बार टिकट मिलने की अहम वजह मोदी सरकार में उनका प्रदर्शन और संसदीय क्षेत्र में शुरू की गई कई नई योजनाएं मानी जा रही हैं। साल 2019 में मोदी सरकार के सत्ता में आने पर उन्हें जिम्मेवारी मिलने के संभावना जताई जा रही थी। उन्हें जिम्मेवारी तो मिली लेकिन पूर्ण रूप से कोई मंत्रालय नहीं मिला बल्कि केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री का दायित्व दिया गया। इस पद पर बेहतर कार्य करने की बदौलत मोदी कैबिनेट के विस्तार में उन्हें सूचना प्रसारण व खेल एवं युवा सेवाएं जैसे अहम मंत्रालय सौंपे गए।
2008 में लड़ा पहला चुनाव, अब तक अजेय
अनुराग ठाकुर का जन्म 24 अक्तूबर 1974 को पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और शीला धूमल के घर हमीरपुर के गांव समीरपुर में हुआ। उन्होंने जालंधर के दयानंद मॉडल स्कूल से स्कूली शिक्षा, दोआबा कॉलेज जालंधर से बीए की पढ़ाई पूरी की। पूर्व लोक निर्माण मंत्री ठाकुर गुलाब सिंह की बेटी शैफाली ठाकुर के साथ वर्ष 2002 में अनुराग परिणय सूत्र में बंधे। 49 वर्ष की उम्र में अब अनुराग ठाकुर पांचवां चुुनाव लड़ेंगे। चुनावी राजनीति में वह अभी तक अजेय हैं। साल 2008 में उन्होंने पहला उपचुनाव लड़ा। उपचुनाव में जीत के बाद वह लगातार तीन आम चुनाव जीत चुके हैं। हमीरपुर संसदीय सीट से उनका भाजपा टिकट पर लगातार पांचवां चुनाव होगा। वर्तमान मोदी सरकार में दो अहम मंत्रालय सौंपे गए। वह भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे हैं। विश्व के सबसे अमीर क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड बीसीसीआई के अनुराग ठाकुर दो साल तक अध्यक्ष रहे हैं।
विश्वास जताने के लिए हाईकमान का आभार
मेरे अपने हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से पांचवीं बार मुझ पर विश्वास जताने, मुझे पुनः विश्व के सबसे बड़े राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी का मेरे लोकसभा से प्रत्याशी बनाने पर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का हार्दिक आभार प्रकट करता हूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, केंद्र व प्रदेश के नेतृत्व का आभारी हूं। हम विश्वास दिलाते हैं कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में केंद्र सरकार की उपलब्धियों व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रवादी नीतियों को लेकर हम जन-जन के बीच जाएंगे। हिमाचल की सभी 4 सीटें जिताकर 400 पार के संकल्प में देवभूमि का योगदान सुनिश्चित करेंगे। अनुराग ठाकुर, प्रत्याशी संसदीय क्षेत्र हमीरपुर
तिरंगा यात्रा से राष्ट्रीय राजनीति में मिली अनुराग को पहचान
अनुराग ठाकुर बेशक 32 वर्ष की उम्र में सांसद बनकर लोकसभा में पहुंच गए लेकिन उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष के राष्ट्रीय एकता यात्रा से 2011 में पहचान मिली। प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में धर्मशाला क्रिकेट स्टेडियम को लेकर हुुई सियासत से वह सियासत के मंझे हुए नेता बनकर उभरे। साल 2011 में उनकी अगुआई कोलकाता से श्रीनगर के लाल चौक के लिए तिरंगा यात्रा से उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में अलग पहचान मिली। अनुराग ठाकुर के सांसद के रूप में नई योजनाओं से लोगों को जोड़ने के प्रयास हुए हैं लेकिन कई चुनावों में मुद्दा बने हमीरपुर ऊना रेलवे लाइन का वादा अभी तक अधूरा है। इसके अलावा हिमाचल में रेलवे विस्तार के रूप में बजट से आगे बात नहीं बढ़ी है। कुछ नई ट्रेन जरूर शुरू हुई हैं लेकिन वादों के मुताबिक अभी काम नहीं हो सका है।
14 लाख के करीब मतदाता हैं हमीरपुर सीट में, सवा पांच लाख राजपूत वोटर
एक से श्रेष्ठ, खेल महाकुंभ, सांसद स्वास्थ्य मोबाइल योजना समेत कई पहल संसदीय क्षेत्र में की है। भारत के उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हमीरपुर दौरे के दौरान इन योजनाओं को सराहते हुए अन्य सांसदों को इन्हें अपनाने की बात कही थी। सांसद के रूप में अपने चार कार्यकाल में नई योजनाओं को क्षेत्र में लागू करना और हर जिम्मेवारी का पार्टी में बखूबी निर्वहन करने पर टिकट मिलने का कारण माना जा रहा है।