हिमस्खलन के कारण बर्फ हटाने में वक्त लग रहा है। बीआरओ की टीम राहनीनाला तक पहुंच गई थी लेकिन दो दिन पहले खराब मौसम और करीब आठ जगह हिमस्खलन से टीम को वापस ब्यासनाला आना पड़ा।
समुद्रतल से 13,050 फुट की ऊंचाई पर स्थित रोहतांग दर्रा बहाल होने में अभी वक्त लगेगा। जगह-जगह हिमस्खलन रोहतांग दर्रा बहाली में बाधा बन गए हैं। हिमस्खलन के कारण बर्फ हटाने में वक्त लग रहा है। बीआरओ की टीम राहनीनाला तक पहुंच गई थी लेकिन दो दिन पहले खराब मौसम और करीब आठ जगह हिमस्खलन से टीम को वापस ब्यासनाला आना पड़ा। अब पुनः बर्फ को हटाकर मशीनरियां राहनीनाला के समीप पहुंच गई हैं।
मौसम ने साथ दिया तो मई के दूसरे सप्ताह के बाद पर्यटक रोहतांग दर्रा का दीदार कर सकेंगे। अटल टनल बनने से पर्यटक लाहौल घाटी में बर्फ का आनंद ले रहे हैं। गर्मियों में रोहतांग दर्रा पर्यटकों की पहली पसंद रहता है। मनाली आने वाले अधिकतर पर्यटक रोहतांग दर्रे के दीदार को प्राथमिकता देते हैं।
बीआरओ ने रोहतांग दर्रे की बहाली का कार्य युद्ध स्तर पर जारी रखा है। इस साल अप्रैल के अंतिम दिनों में भी बर्फबारी हुई है। वहीं कुछ स्थानों पर हिमस्खलन हुआ है। इससे रोहतांग बहाल करने का कार्य भी प्रभावित हो रहा है।
मनाली की ओर से बीआरओ का काफिला राहनीनाला के समीप पहुंच गया है। लाहौल की ओर बीआरओ की टीम ग्रांफू से आगे निकल गई है। फिलहाल पर्यटक वाहन गुलाबा तक भेजे जा रहे हैं। रोहतांग दर्रा के रास्ते से बर्फ हटाने का कार्य जारी है। बीआरओ युद्ध स्तर पर बर्फ हटाने के कार्य में जुटा हुआ है।
बीआरओ के अधिकारी ने बताया कि टीम राहनीनाला पहुंच गई थी लेकिन मौसम खराब होने के बाद जहां बर्फबारी हुई वहीं करीब आठ जगह हिमखंड गिरे। इस वजह से टीम को वापस ब्यासनाला आना पड़ा। यहां से बर्फ हटाते हुए टीम मढ़ी की ओर जा रही है। फिलहाल सड़क से सिंगललेन बर्फ हटाई जा रही है। 15 मई रोहतांग टॉप पर पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है।