प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य को स्वच्छ बनाने के लिए पर्यावरण ठोस कचरा अपशिष्ट पर ऐतिहासिक निर्णय दिया है। अदालत ने वर्तमान पर्यावरण कानूनों को संशोधित करने पर जोर दिया।
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य को स्वच्छ बनाने के लिए पर्यावरण ठोस कचरा अपशिष्ट पर ऐतिहासिक निर्णय दिया है। अदालत ने वर्तमान पर्यावरण कानूनों को संशोधित करने पर जोर दिया। जिनमें ठोस कचरा प्रबंधन नियम 2016 और प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियम 2016 शामिल हैं। कोर्ट ने शिमला को मॉडल शहर बनाने के लिए सभी आवासों को कचरा संग्रहण योजना में शामिल करने के निर्देश दिए। जिनमें बिजली और पानी के कनेक्शन हैं, लेकिन कोई कचरा आईडी नहीं है। इसमें अनौपचारिक बस्तियां जैसे झुग्गी-झोपड़ियां भी शामिल हैं। सभी ऐसे आवासों को अगली सुनवाई से पहले कचरा आईडी को प्राप्त करना होगा। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने सूलेमन बनाम राज्य सरकार के मामले में यह फैसला सुनाया।
कोर्ट ने शिमला नगर निगम को हॉट स्पॉट्स और प्राकृतिक जल निकायों में कचरा फेंकने की चयनित जगहों पर साइन बोर्ड लगाने के निर्देश दिए हैं। नगर निगम को उल्लंघनकर्ताओं पर दंड लगाने और व्यवस्थित कचरा संग्रहण के लिए ग्रामीण विकास विभाग के साथ सहयोग करने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने स्पष्ट किया है कि पार्षदों के लिए प्रशिक्षण नगर निगम शिमला से शुरू होना चाहिए, जो बाद में राज्य के अन्य शहरों और कस्बों में दिया जाएगा। अदालत ने राज्य सरकार को ठोस कचरा फेंकने के लिए आवश्यक भूमि उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि प्रदेश सरकार अगली सुनवाई को अपनी रिपोर्ट अदालत में पेश करे। अदालत ने बफर जोन बनाने का भी आदेश दिया है
उपायुक्तों, मजिस्ट्रेटों को हर 15 दिन में गतिविधियों की निगरानी के निर्देश
उपायुक्तों और मजिस्ट्रेटों को हर 15 दिन में ठोस कचरा प्रबंधन गतिविधियों की निगरानी करने के लिए निर्देश जारी किए गए हैं। अदालत ने मुख्य रूप से ईपीआर विनियमों का सख्ती से पालन करने को कहा है। न्यायालय ने सभी संस्थाओं को एक महीने के भीतर ईपीआर पंजीकरण के लिए आवेदन करने के निर्देश दिया है। इसे सुविधाजनक बनाने के लिए हिमाचल राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को कहा गया है
डिफाल्टर संस्थाओं पर कार्रवाई करने के लिए कहा
अदालत ने हिमाचल राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को डिफाल्टर संस्थाओं पर कार्रवाई करने को कहा है, जो ईपीआर पोर्टल पर पंजीकरण करने में विफल रहीं। शहरी स्थानीय निकाय और प्लास्टिक कचरा प्रंबधन को निर्देश दिया कि पुनर्चक्रित प्लास्टिक कचरे को सही तरीके से संग्रहित किया जाए और पंजीकृत प्लास्टिक कचरा प्रोसेसर के पास भेजा जाए। कोर्ट ने कहा कि सीमेंट संयंत्रों को उनके कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के हिस्से के रूप में इस कचरे के मुफ्त परिवहन की सुविधा प्रदान की जाए।
मुख्य सचिव को प्लास्टिक फ्लैक्स नियमों को बनाने के दिए निर्देश
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने प्लास्टिक, फ्लैक्स बैनर और होर्डिंग पर प्रतिबंध लगाने पर मुख्य सचिव को नियम बनाने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने फ्लैक्स बैनरों से उत्पन्न पर्यावरणीय खतरों को पहचानते हुए यह आदेश पारित किए हैं। कोर्ट ने फ्लैक्स बैनरों की मोटाई, अवधि और प्राधिकरण के संबंध में नियम बनाने को कहा है।