बहरहाल लंबाडग और ऊहल नदी में पानी के तेज बहाव से मंडी जिला की कई उठाऊ पेयजल योजनाओं के लिए पानी की मात्रा बढ़ी है। इससे हजारों लोग लाभान्वित हो रहे हैं।
मई माह में तापमान बढ़ने पर जहां सूखे जैसे हालात बन रहे हैं। वहीं, ग्लेशियर पिघलने से ब्यास समेत सहायक नदियों लंबाडग और ऊहल का जलस्तर भी बढ़ने लगा है। अचानक बारिश होने पर नदियों में जलस्तर और बढ़ सकता है। ऐसे में प्रशासन ने नदी के पास रहने वाले लोगों से एहतियात बरतने की सलाह दी है। बहरहाल लंबाडग और ऊहल नदी में पानी के तेज बहाव से मंडी जिला की कई उठाऊ पेयजल योजनाओं के लिए पानी की मात्रा बढ़ी है। इससे हजारों लोग लाभान्वित हो रहे हैं।
वहीं, बरोट स्थित शानन प्रोजेक्ट की रिजर्व वायर में भी करीब 13.54 क्यूसिक पानी एकत्रित हो गया है। दोनों नदियों में जलस्तर बढ़ने से रोजाना शानन प्रोजेक्ट के ब्राजगेट भी खोलने पड़ रहे हैं। 414 क्यूबिक मीटर पानी ऊहल नदी में छोड़ा जा रहा है। हालांकि ऊहल नदी में यह पानी मंडी जिला की ब्यास नदी में पहुंचने से उठाऊ पेयजल योजनाओं को संजीवनी मिल रही है। उधर, डीएसपी पधर दिनेश कुमार ने बताया कि ऊहल नदी का जलस्तर बढ़ने के चलते लोगों को नदी के नजदीक न जाने की हिदायत पुलिस और प्रशासन ने दे रखी है।
शानन और बस्सी में 42 लाख मिलियन यूनिट पहुंचा उत्पादन
ग्लेशियर पिघलते ही शानन प्रोजेक्ट में विद्युत उत्पादन 26 लाख और बस्सी परियोजना में 16 लाख मिलियन यूनिट बिजली उत्पादन पहुंच चुका है। दोनों परियोजनाओं में विद्युत उत्पादन बढ़ने से प्रतिदिन शानन प्रोजेक्ट को एक करोड़ और बस्सी पावर हाउस को 60 लाख के करीब आमदनी हो रही है। शानन प्रोजेक्ट के आरई सतीश कुमार और बस्सी परियोजना के आरई जितेंद्र कुमार ने बताया कि ऊहल और लंबाडग नदी में पानी बढ़ने से विद्युत परियोजना में उत्पादन बढ़ा है।