# जिमीकंद और कचालू जैसी कंद वाली फसलें टाइप-दो प्रकार के मधुमेह के खिलाफ लड़ाई लड़ने में यह मददगार हुई साबित…

मधुमेह से लड़ने में जिमीकंद और कचालू जैसी कंद वाली फसलें कारगर साबित हो सकती हैं। यह बात एक अध्ययन में सामने आई है। इस अध्ययन में टाइप-दो प्रकार के मधुमेह के खिलाफ लड़ाई लड़ने में यह मददगार साबित हुआ है।

यह अध्ययन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान कटक, फसल फिजियोलॉजी, केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान शिमला के जैव रसायन और कटाई उपरांत प्रौद्योगिकी प्रभाग और केंद्रीय कंद फसल अनुसंधान संस्थान भुवनेश्वर के क्षेत्रीय केंद्र ने किया है। इसमें अवधेश कुमार, सौम्या महापात्रा, लोपामुद्रा नायक, मोनालिशा बिस्वाल, उपासना साहू, मिलन कुमार लाल, अमरेश कुमार नायक और कालिदास पाती जैसे विशेषज्ञों ने संयुक्त रूप से शोध किया है।

इन कंद फसलों को दैनिक आहार में शामिल करना, विशेष रूप से चावल खाने वाली आबादी में, मधुमेह और संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को कम करने के लिए सरल लेकिन प्रभावी रणनीति हो सकती है। यह शोध वैश्विक मधुमेह महामारी से निपटने के लिए नए खाद्य उत्पादों और आहार संबंधी दिशा-निर्देशों को विकसित करने के लिए एक आशाजनक मार्ग प्रदान करता है।

कंद वाली सब्जियां, चावल खाने से घटता है जीआई 
शोधकर्ताओं ने पाया है कि दुनिया भर में लाखों लोगों के लिए मुख्य भोजन चावल को कुछ कंद फसलों के साथ मिलाने से इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) काफी कम हो सकता है। उच्च जीआई वाला भोजन रक्त शर्करा के स्तर को तेजी से बढ़ाता है, जिससे मधुमेह और मोटापे का खतरा बढ़ जाता है। चावल आसानी से पचने वाले स्टार्च के कारण उच्च जीआई वाला भोजन है।

पाचन प्रक्रिया को करती है धीमा
शोधकर्ताओं के अध्ययन में कई प्रकार के चावल का विश्लेषण किया गया। इसमें पाया कि जिमीकंद और कचालू जैसी कंद वाली फसलों को शामिल करने से भोजन का समग्र जीआई कम हो गया। ये कंद फसलें फाइबर और अन्य लाभकारी यौगिकों से भरपूर होती हैं, जो स्टार्च के पाचन को धीमा कर देती हैं। 

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