आलू से बायो एथेनॉल बनाने के लिए केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (सीपीआरआई) शिमला आलू की नई किस्में विकसित करेगा। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल के सुझाव पर यह फैसला लिया है। सीपीआरआई के वैज्ञानिक आलू से एथेनॉल बनाने का सफल प्रयोग कर चुके हैं। ईंधन के तौर पर एथेनॉल के प्रयोग से पर्यावरण प्रदूषण कम होगा और विदेशों पर निर्भरता कम होगी।
मौजूदा समय में देश में सबसे अधिक एथेनॉल गन्ने से बनाया जा रहा है, लेकिन गन्ने का व्यावसायिक उत्पादन देश में मूल रूप से चीनी के लिए किया जा रहा है। एथेनॉल की बढ़ती मांग को देखते हुए आलू से एथेनॉल बनने के लिए सीपीआरआई में परीक्षण किए गए हैं। सीपीआरआई के फसल दैहिकी जैव रसायन एवं फसलोत्तर तकनीकी विभाग के अध्यक्ष डाॅ. दिनेश कुमार और उनके सहयोगी डॉ. धर्मेंद्र कुमार ने बायो एथेनॉल बनाने में सक्षम आलू की किस्मों को चिह्नित कर बायो एथेनॉल तैयार किया है। अब संस्थान आलू की नई किस्में विकसित करेगा। एथेनॉल बनने से आलू उत्पादकों की आय बढ़ेगी। सीपीआरआई जब तक नई किस्में विकसित नहीं करता, तब तक खराब आलू से एथेनॉल बनाया जाएगा।
देश में होने वाले कुल उत्पादन का करीब 15 फीसदी आलू विभिन्न कारणों से खराब हो जाता है। बीमारी लगने से खराब फसल, खोदाई के दौरान निकलने वाला कटा हुआ आलू और बाजार में मांग कम होने से इकट्ठा होने वाला अतिरिक्त आलू एथेनॉल बनाने में प्रयोग हो सकेगा। देश में साल 2030 तक ईंधन में 30 फीसदी एथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य रखा गया है। 2025 तक के लिए यह 20 फीसदी है। एक दशक पहले यह 1.5% था। गन्ने के अलावा टूटे हुए अनाज से ईंधन एथेनॉल बनाने के देश में परीक्षण हुए हैं।
आलू से एथेनॉल बनाने को लेकर संस्थान में किए गए परीक्षण सफल रहे हैं। खराब होने वाली आलू की 15 फीसदी फसल एथेनॉल बनाने में इस्तेमाल हो जाएगी। सीपीआरआई अब इसके लिए सहायक आलू की नई किस्में विकसित करेगा- डॉ. ब्रजेश सिंह, निदेशक, सीपीआरआई
सेब और पर्यटन के साथ हिमाचल का नाम उन्नत किस्म के आलू उत्पादन के लिए भी देश-विदेश में विख्यात होना चाहिए। आलू उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार को सीपीआरआई से सुझाव लेने चाहिए। केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान के 76वें स्थापना दिवस कार्यक्रम में यह बात राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कही। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री, कृषि मंत्री, कृषि सचिव सीपीआरआई निदेशक के साथ बैठक करें, मैं भी मौजूद रहूंगा। पैदावार बढ़ाने के अलावा आलू आधारित उद्योग भी स्थापित होने चाहिए। चीन के बाद भारत का आलू उत्पादन में दूसरा स्थान है। वैश्विक आलू उत्पादन का 15 प्रतिशत भारत में हो रहा है। प्रदेश में 14,000 हेक्टेयर में आलू की खेती कर दो लाख टन उत्पादन हो रहा है। उत्पादन बढ़ाने के लिए गंभीर प्रयास करने चाहिए। राज्यपाल ने किसानों को कृषि उपकरण भी वितरित किए। कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड दिल्ली के चेयरमैन डॉ. संजय कुमार ने आलू के व्यवसायिक उत्पादन और प्रसंस्करण पर जोर दिया। शिमला नगर निगम के मेयर सुरेंद्र चौहान भी मौजूद रहे। निदेशक डॉ. ब्रजेश सिंह ने संस्थान की उपलब्धियों की जानकारी दी। सामाजिक विज्ञान प्रभाग के प्रमुख डॉ. आलोक कुमार ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।