हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर शहर को फोरलेन से जोड़ने के लिए गोबिंद सागर झील पर अंडरवाटर टनल के निर्माण पर विचार किया जा रहा है। टनल लुहणू मैदान से फोरलेन तक बनाई जाएगी। अगर योजना धरातल पर उतरी, तो यह न केवल बिलासपुर शहर के लिए संजीवनी साबित होगी, बल्कि देश का पहला ऐसा पुल होगा जो झील के अंदर बनेगा। किरतपुर-मनाली फोरलेन बनने के बाद बिलासपुर शहर का संपर्क मुख्य मार्ग से टूट गया है, जिससे यहां की आर्थिक गतिविधियां धीमी पड़ गई हैं। व्यापारियों और उद्योगपतियों को नई राह देने के लिए पुल का निर्माण महत्वपूर्ण है।
अंडरवाटर टनल पुल से न केवल शहर फोरलेन से सीधा जुड़ जाएगा, बल्कि यह पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र भी बनेगा। अगर पुल निर्माण की संभावनाएं बनीं तो महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए जर्मनी के विशेषज्ञ और कंसल्टेंट हायर किए जाएंगे। जर्मनी की उन्नत इमर्शन टनल तकनीक और टनल बोरिंग मशीन का उपयोग कर पुल को तैयार किया जाएगा। इमर्शन टनल तकनीक में टनल के हिस्सों को जमीन पर बनाकर झील के नीचे स्थापित किया जाएगा। टनल बोरिंग मशीन से झील के तल के नीचे खुदाई करके इसे सुरक्षित और टिकाऊ बनाया जाएगा।
बजट और योजना
परियोजना की संभावनाओं का आकलन करने के लिए विशेषज्ञों की टीम तैयार की जाएगी। अगर योजना व्यावहारिक पाई गई, तो इसे केंद्र सरकार की सेतु भारतम योजना के तहत बजट के लिए प्रस्तावित किया जाएगा। परियोजना पर कई सौ करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है।
पर्यावरण और तकनीकी का संतुलन
इस परियोजना में पर्यावरणीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए जर्मन तकनीक का उपयोग किया जाएगा, जो उन्नत और टिकाऊ है। यह परियोजना केवल एक पुल निर्माण तक सीमित नहीं होगी, बल्कि यह बिलासपुर के पुनरुत्थान की कहानी लिखेगी। अगर यह परियोजना धरातल पर उतरती है, तो यह न केवल हिमाचल प्रदेश बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल बन जाएगी।
अगर लुहणू से गोबिंद सागर झील के नीचे अंडरवाटर टनल पुल बनाया जाता है, तो यह परियोजना शहर के लिए एक वरदान साबित होगी। इसकी संभावनाएं तलाशने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि अभी यह परियोजना तय नहीं है। संभावनाएं बनीं तो इस पर कवायद शुरू होगी।-राजेश धर्माणी, तकनीकी शिक्षा मंत्रीअपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करें