हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने गोसदनों पर करोड़ों रुपये खर्चे करने के बाद भी पशुओं की दयनीय स्थिति पर कड़ा संज्ञान लिया है। अदालत में इस मामले को लेकर तीन अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर हुई हैं। अदालत ने सोमवार को पशुओं की गंभीर हालात पर संज्ञान लेते हुए कहा कि गोसदनों के नाम पर करोड़ों रुपये का बजट देने के बाद भी पशुओं की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। अदालत में सरकार और विजिलेंस की ओर से गोसदन के लिए जारी बजट पर अपनी-अपनी रिपोर्ट अदालत में पेश की। पशुपालन के अधिकारी भी कोर्ट में रिकॉर्ड के साथ पेश हुए। इस मामले की अगली सुनवाई 18 दिसबंर को होगी।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने सरकार और विजिलेंस ब्यूरो के जवाब पर असहमति जताते हुए कहा कि आखिर यह पैसा कहां जा रहा है। अदालत ने सुनवाई के दौरान पाया कि गोशाला बनाने के लिए न कोई डीपीआर, न कोई टेंडर की प्रक्रिया और न ही कोई रिकॉर्ड सरकार के पास है। विजिलेंस ने अदालत में अपनी रिपोर्ट में भी इसका हवाला दिया कि गोसदन के लिए खर्च की गई धनराशि की बड़ी गड़बड़ी पाई गई है। अदालत के सवालों का जवाब देने के लिए सरकार ने और समय मांगा। अदालत ने पिछले आदेश में करोड़ों रुपये का घपला होने की आशंका के बाद इसकी जांच पुलिस स्टेशन राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो धर्मशाला का सौंपी थी।
बता दें कि हाईकोर्ट में लावारिस, बेसहारा पशुओं के मामले में तीन अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं। इसमें लुथान गोशाला एक है और 8 अन्य हैं। इसके लिए सरकार ने करीब 4 करोड़ रुपये खर्च कर दिए हैं। उसके बाद भी वहां पर पशुओं की हालत चिंताजनक बनी हुई है। हजार के करीब पशु यहां पर मर गए हैं। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि इतना बजट जारी होने के बाद भी गोशाला की हालत में सुधार नहीं किया जा रहा है।
गोशाला में सात गोवंश की मौत पर हाईकोर्ट का स्वत: संज्ञान
जिला ऊना के जोल की चौकी खास पंचायत के कैंट गांव में सारांश गर्ग फाउंडेशन की गोशाला में सात गोवंश की मौत पर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने कहा कि मामला गंभीर है। इन पशुओं को ना तो उठाया जा रहा है और न ही दफनाया जा रहा है। बीमार पशुओं का इलाज भी नहीं किया जा रहा है। अदालत अब इस मामले को भी कांगड़ा के लुथान समेत आठ गोशालाओं के मामले के साथ सभी जनहित याचिकाओं पर 18 दिसंबर को सुनवाई करेगी।
उधर, कैंट की गोशाला में ठंड और कमजोरी से की वजह से ही सात गोवंश की मौत का खुलासा मृत गोवंश की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हुआ है। गोशाला में मृत मिले गोवंश का पोस्टमार्टम डॉ. अमित और उनकी टीम ने किया है। गोशाला संचालक ने सर्द हवाओं से गोवंश को बचाने के लिए शेड को तिरपाल से ढक दिया है। मामला अमर उजाला ने प्रमुखता से उठाने के बाद एसडीएम बंगाणा सोनू गोयल ने भी रविवार देर शाम को गोशाला का निरीक्षण किया था। इस दौरान उन्होंने गोशाला की अव्यवस्था के बारे में पूछताछ की। साथ ही पशुपालन विभाग को आवश्यक निर्देश दिए।
सोमवार सुबह पशु चिकित्सकों की टीम ने गोशाला पहुंचकर मृत गोवंश के शवों को उठाया। बीमार और घायल गोवंश का इलाज किया। पशु चिकित्सक डॉ. अमित ने बताया कि मृत गोवंश की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आया कि उनकी मौत ठंड, कमजोरी और पोषण की कमी से हुई। उन्होंने कहा कि गोशाला में करीब छह गोवंश की हालत गंभीर है, उनका उपचार जारी है। डॉ. अमित ने कहा कि गोशाला में गोवंश सर्दी की चपेट में आ रहे हैं, लेकिन सरकार प्रति गोवंश 700 रुपये की सहायता देती है, जो पर्याप्त नहीं है। इसके अलावा, सड़क हादसों में घायल गोवंश भी गोशालाओं में छोड़े जा रहे हैं, जिनका इलाज महंगा है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि इतने दुर्गम स्थान पर गोशाला क्यों बनाई गई, इस पर किसी के पास कोई स्पष्ट जवाब नहीं है।
संचालक ने स्वीकारी असुविधाओं की बात
सोमवार को गोशाला के संचालक कृष्ण गोपाल भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने स्वीकार किया कि गोवंश के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। वहां न पानी की व्यवस्था है और न बिजली की। रोजाना टैंकर से पानी मंगवाया जाता है। चारा कुतरने के लिए बिजली नहीं है। ऐसे में साबुत मक्की के डंठल ही डाल दिए जाते हैं। सोमवार को पशुओं को तुड़ी और हरा चारा भी दिया। कृष्ण गोपाल ने कहा कि गोशाला में चहारदीवारी के निर्माण के लिए धनराशि नहीं है।
कैंट गोशाला का रविवार शाम को निरीक्षण किया है। व्यवस्थाओं को लेकर खामियां मिली हैं। पशुपालन विभाग के विशेषज्ञों से बातचीत की गई। साथ में गोशाला संचालक से भी पूछताछ हुई है। कैंट गोशाला की स्थिति में जल्द सुधार लाया जाएगा।