
हिमाचल प्रदेश के मेडिकल कॉलेज सहित अन्य अस्पतालों में विशेषज्ञों की भारी कमी है। प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में 15 फीसदी और चम्याणा अस्पताल में 49 फीसदी डॉक्टरों की कमी है। इसके अलावा पेरामेडिकल स्टाफ और नर्सों की भी काफी पद खाली चल रहे हैं। कैग की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल ने विधानसभा पटल पर कैग रिपोर्ट रखी है।
कैग के अनुसार वर्ष 2023 में आईजीएमसी के अलावा जिला अस्पतालों में 33 फीसदी विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी पाई है। कई अस्पताल ऐसे हैं, जिनमें डॉक्टरों की कमी के चलते ओपीडी नहीं चली है। वर्ष 2016 – 17 से 2020-21 के दौरान मातृ मृत्यु व नवजात मृत्यु की समीक्षा ही नहीं की गई। कैग ने खुलासा किया है कि 2016-21 के दौरान दो मातृ मृत्यु और 37 नवजात की मृत्यु हुई। वहीं 2016-21 में 20.39 फीसदी माताओं को प्रर्याप्त मात्रा में आयरन और फोलिक एसिड नहीं दिया गया।
दवाइयां खरीदने के लिए गठित दवा खरीद प्रकोष्ठ बिल्कुल निष्क्रिय रहा है। दवाइयों की समय समय पर खरीद नहीं की गई। अस्पतालों में मरीजों को निशुल्क दवाइयां नहीं मिली हैं। अस्पतालों में बिस्तर की भारी कमी पाई गई। एक बेड पर दो-दो मरीजों का भर्ती किए गए। कैग की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के एक जिला अस्पताल, तीन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और 16 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में एक्सरे की सुविधा नहीं है।