
हिमाचल में 2,000 करोड़ रुपये से 1,500 किलोमीटर सड़कें पक्की होंगी। केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के चरण-एक में टारिंग, मेटलिंग से वंचित सड़कों को चरण-चार में शामिल कर दिया है। अब चरण-चार में ये सड़कें पक्की होंगी। लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने नियमों का हवाला देते हुए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज चौहान के समक्ष यह मामला उठाया था।
केंद्रीय मंत्रालय ने सरकार को स्वीकृति पत्र जारी कर इन सड़कों को चरण-चार में शामिल करने की हामी भरी है। अगले सप्ताह लोक निर्माण विभाग के अधिकारी दिल्ली जाएंगे, वहां केंद्रीय मंत्रालय के समक्ष इन सड़कों की प्रस्तुति देंगे। हिमाचल में चरण-दो और तीन में सभी सड़कों का निर्माण हो चुका है, लेकिन चरण-एक में 200 से ज्यादा सड़कें पक्की नहीं हो पाई थीं।
इन सड़कों के पक्का होने से हिमाचल की 40 फीसदी जनता लाभान्वित होगी। इससे पहले चरण-तीन में हिमाचल को 3,000 करोड़ रुपये मिले थे। अब सड़कों को पक्का करने के लिए हिमाचल को केंद्र 2,000 करोड़ की राशि देगा। विक्रमादित्य ने कहा कि सड़कों का जायजा लेने के लिए जिलों के दौरे किए थे। कई सड़कें हैं जो 10 सालों से पक्की नहीं हो पाई हैं। इस बारे में सचिवालय में अधिकारियों के साथ बैठक की गई। इसके बाद मामला केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री से उठाया था।
सरकार जल्द खरीदेगी 700 नई बसें : अग्निहोत्री
उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि सरकार जल्द 700 बसों की खरीद करने जा रही है। इसमें 250 से ज्यादा बसें डीजल, 300 इलेक्ट्रिकल और 100 टेंपो ट्रैवलर शामिल हैं। यह बसें सभी जिलों में जरूरत के अनुसार दी जाएंगी। अग्निहोत्री बीबीएन में पेयजल और सिंचाई योजनाओं के शुभारंभ पर जनसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बद्दी और नालागढ़ के विधायक ने भी इसके लिए पहले ही प्रस्ताव दिए हैं। यहां पर भी कई बसें दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि विपक्ष अपनी भूमिका निभाने में नाकाम रहा है। दो साल का समय बीत गया। वह ऐसे मुद्दे उठा रहे हैं, जिसका प्रदेश के लोगों से कोई लेना देना नहीं। पहले विपक्ष ने लोटस अभियान चलाया, जिसमें उनको मुंह की खानी पड़ी। उसके बाद उन्होंने सीपीएस हटाने को लेकर हल्ला करते रहे। अब कोई गाड़ी किसी मंत्री के आगे या पीछे जाती है तो उसको लेकर भी ढिंढोरा पीटते हैं। अग्निहोत्री ने कहा कि पेयजल को लेकर बीबीएन में क्रांतिकारी कदम उठाने की जरूरत है। यहां पर जमीन का पानी का स्तर काफी नीचे गया है। इसे देखते हुए लंबे समय की योजना बनाने की यहां पर जरूरत है। खड्डों और नालों की तटीकरण नहीं हो पाया है। किसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया। ऊना जिले में 1,500 करोड़ रुपये से तटीकरण हुआ और इससे कई बीघा उपजाऊ जमीन नई बनी है।