सम्मान के नाम पर यौन उत्पीड़न केस में कोई समझौता स्वीकार नहीं, हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

hp High Court : No compromise is acceptable in sexual harassment case in the name of honour

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की अदालत ने यौन उत्पीड़न केस में कड़ा रुख अपनाते हुए पीड़िता के पिता की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया। न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा कि दोनों पक्षों की ओर से किए गए समझौते को आधार नहीं बनाया जा सकता है। कोर्ट ने कहा है कि शिकायतकर्ता या पीड़ित के पास पोक्सो मामले को रद्द करने के लिए याचिका दायर करने का कोई अधिकार नहीं होता है।

वह भी परिवार के सम्मान को बचाने के नाम पर। अदालत में कहा कि चूंकि यह अपराध समाज के खिलाफ है और यदि इस प्रकार के मामलों को याचिका में दिए गए तथ्यों के आधार पर रद्द कर दिया जाता है तो इसस अन्य आरोपियों के हौसले बुलंद होंगे और ऐसे अपराध को बढ़ावा मिलेगा।

विश्वासपात्र संबंधों के जरिये गवाह को प्रभावित करना, धन-बल का  इस्तेमाल करना, पीड़ित और शिकायतकर्ता को धमकाना और परिवार के सम्मान के नाम पर मामले को निपटाना इसमें शामिल है। पीठ ने ये टिप्पणियां यौन अपराध पीड़िता के पिता की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए कीं, जिसमें उन्होंने आरोपी के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी।

 याचिकाकर्ता ने कहा कि उसने आरोपियों से समझौता कर लिया है। तर्क दिया कि एफआईआर उनकी बेटी की सगाई में बाधा उत्पन्न कर रही है। दूल्हे के परिवार ने शर्त रखी है कि लड़की के संबंध में कोई केस लंबित नहीं होना चाहिए। इसे देखते हुए कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। 

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